नेशनल डेस्क। राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में तकरार बढ़ गई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ जयपुर स्थित शहीद स्मारक स्थल पर बीते दिन यानी मंगलवार को अनशन पर बैठे थे। हालांकि, इनके अनशन पर बैठने को लेकर प्रदेश कांग्रेस समेत हाई कमान ने भी नाराजगी जताई थी और आपस में विवाद सुलझाने का सुझाव भी दिया था। इस बीच आज सचिन पायलट दिल्ली पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि राजस्थान के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व डिप्टी सीएम सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं।
#WATCH दिल्ली: कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपने आवास से रवाना हुए।
सचिन पायलट ने कल राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के ख़िलाफ जयपुर में एक दिन का अनशन किया था। pic.twitter.com/5uMC7eQwtr
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 12, 2023
सचिन पायलट के अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने के इस कदम से एक बार फिर से ये अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या सचिन पायलट कांग्रेस से निकलकर नए रास्ते पर बढ़ने वाले हैं? साथ ही ये भी कि अगर पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं, तो उनका अगला कदम क्या होगा? सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाईकमान का सचिन पायलट पर रुख अब भी नरम बना हुआ है। आज पायलट पर बड़ा फैसला हो सकता है। उनके कांग्रेस छोड़ने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सचिन पायलट आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए फैसला ले सकते हैं क्योंकि अगर अब कोई वो बड़ा कदम नहीं उठाते हैं तो उनकी राजनीतिक करियर खत्म होने की उम्मीद है क्योंकि कांग्रेस से इतनी बागावत करने के बाद उन्हें पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं देना चाहेगी।
नई पार्टी का कर सकते हैं ऐलान : विश्लेषकों का मानना हैं कि, जिस तरह वह बीजेपी को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेर रहे हैं वैसे तो नहीं लगता कि वो भाजपा का रूख करने वाले हैं। लेकिन अधिक संभावना है कि वो अपनी नई पार्टी बनाने का एलान जल्द कर दें। हालांकि, राजनीतिक में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा क्योंकि यहां कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं चलता है। अगर पायलट नई पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस को आगामी चुनाव में इसका खामियाजा भुगताना पड़ सकता हैं क्योंकि सचिन पायलट की पकड़ जाट समुदायों में अच्छी खासी मानी जाती है और वो नई पार्टी बनाते हैं तो जाहिर तौर पर बीजेपी-कांग्रेस दोनों के वोट शेयर में सेंध मारी कर सकते हैं।