Pola Tihar : धूमधाम से मनाया जा रहा पोला तिहार, क्यों मनाया जाता है ‘पोला त्यौहार’, जानिए इसका महत्व

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Pola Tihar

Raigarh News : आज पूरे जिले में पोला तिहार (Pola Tihar) धूमधाम के साथ मनाया जाएगा ।पोला पर्व की तैयारियां घर घर शुरु हो चुकी हैं। घरों में पारंपरिक मिठाई और नमकीन बनने की शुरुआत हो चुकी है। मिठाई खुरमी और नमकीन ठेठरी का पोला पर्व में बनाया जाना खास होता है।मिट्टी के बने बैलों की भी इस बार अच्छी डिमांड है साथ ही पोला पर्व पर मिट्टी के बने खिलौने बच्चों को खूब भाते हैं।

 

पूजा-अर्चना के बाद लगेगा भोग Pola Tihar

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या का पर्व आज 23 अगस्त को पोला महोत्सव मनाया जाएगा। यह पर्व प्रदेश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व कृषकों के मुख्य आधार स्तम्भ बैल को समर्पित है। जो कृषि में बैलों की अहम भूमिका को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।  ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक समुदाय जो खेतों की जुताई और माल-परिवहन के लिए पूरी तरह बैलों पर ही निर्भर रहते हैं,  इनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए बड़ी धूमधाम से यह पर्व सेलिब्रेट करते हैं।

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इस दिन बैलों को पूरी तरह आराम देते हुए उन्हें पूरे सम्मान के साथ उनकी सेवा एवं पूजा की परंपरा है। भारत में कृषि के प्रमुख स्रोतों में प्रमुख है बैल, जिसका जुताई-गुड़ाई से लेकर मंडी तक माल ढुलाई तक में इस्तेमाल किया जाता है। उनके प्रति आभार व्यक्त करने हेतु कृषक पोला उत्सव मनाते हैं।

 

हिंदू धर्म शास्त्रों में भी है मान्यता

हिंदू शास्त्र के अनुसार इस दिन महाबलशाली असुर पोलासुर ने बाल कृष्ण पर हमला किया था, तब बाल कृष्ण ने हंसते-हंसते उसका वध किया था। इसलिए इस दिन बच्चों को भी सम्मानित किया जाता है। यह पर्व न केवल किसानों और मवेशियों के बीच के रिश्ते को दर्शाता है, बल्कि हमारी संस्कृति में घरों में बनेंगे पकवान पोला त्यौहार के दिन सभी क्षेत्रों के किसान अपने घरों में अपनी गायों और बैलों को सजाते हैं और मिट्टी के बर्तनों में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन भोग लगाते हैं। जिनके पास खेत नहीं हैं वे भी इन उत्सवों के दौरान मिट्टी के बैलों की पूजा करके अपना सम्मान व्यक्त करते हैं।

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