Chhattisgrah News : छत्तीसगढ़ में इन दिनों हो रही असमय बारिश के कारण धान की फसल पर रोग और कीट प्रकोप बढ़ने लगे हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को समय रहते सतर्क किया है और बचाव के उपाय सुझाए हैं। धान की फसल में झुलसा रोग (Paddy crop disease control) के लक्षण पत्तियों पर नाव के आकार के धब्बों के रूप में देखे जा सकते हैं। यदि समय पर रोकथाम न की जाए तो पैदावार पर गंभीर असर हो सकता है।
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विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि झुलसा रोग से बचाव के लिए किसान ट्राईफ्लोक्सीस्ट्रोवीन, टेबुकोनाजोल, ट्राईसाइक्लाजोल और हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें। वहीं शीथ ब्लाइट रोग होने पर भी हैक्साकोनाजोल का प्रयोग प्रभावी रहेगा। जीवाणु जनित झुलसा रोग (Paddy crop disease control) की स्थिति में खेत से अतिरिक्त पानी निकालकर 3-4 दिन तक खुला रखें और प्रति हेक्टेयर 25 किलो पोटाश डालें। इसके साथ ही कासुगेमाइसीन, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, स्ट्रैप्टोसाइक्लिन या प्लान्टोमाइसिन का छिड़काव करने की सलाह दी गई है।

कीट नियंत्रण के उपाय
विशेषज्ञों ने बताया कि धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले तनाछेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप का उपयोग किया जाए। वहीं भूरा फुदका कीट (Paddy crop disease control) के प्रकोप की स्थिति में पाईमेट्राजीन और डिनोटेफेरोन का छिड़काव असरदार रहेगा।

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(Paddy crop disease control) कृषि विभाग की अपील
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे समय पर इन उपायों को अपनाकर धान की फसल को सुरक्षित रखें और बेहतर उत्पादन प्राप्त करें। विभाग का कहना है कि इस खरीफ सीजन में अच्छी बारिश के चलते उत्पादन की संभावना बेहतर है, लेकिन हाल की असमय बारिश से कीट प्रकोप और झुलसा रोग बढ़ गया है। ऐसे में किसानों को वैज्ञानिक उपायों को समय पर अपनाना बेहद आवश्यक है।