Friday, November 8, 2024
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Monsoon Update : मानसून को लेकर मौसम विभाग ने परेशान करने वाली जानकारी दी…..जानिए केरल में कब तक दस्तक देगा मानसून

Weather Update News : मई की गर्मी और चिलचिलाती धूप ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। तापमान 40 डिग्री के पार जा रहा है। इस बीच अब लोगों को मॉनसून की बारिश का इंतजार है। हालांकि, मौसम विभाग ने मॉनसून को लेकर परेशान करने वाली जानकारी सामने रखी है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मॉनसून (Monsoon Update ) थोड़ी देरी से आ सकता है। मौसम विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इस साल मॉनसून 04 जून तक एंट्री लेगा। आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 1 जून को केरल में प्रवेश करता है। हालांकि, इस बार मॉनसून के केरल में प्रवेश करने की तारीख 04 जून बताई जा रही है। मौसम विभाग ने मंगलवार को जो जानकारी दी उसके मुताबिक, केरल में मॉनसून की शुरुआत सामान्य से चार दिन की देरी पर होगी। पिछले साल मॉनसून ने केरल में जल्दी एंट्री ली थी। 29 मई को पिछले साल मॉनसून की एंट्री हो गई थी। इससे पहले साल 2021 में मॉनसून की एंट्री 03 जून को हुई थी। वहीं, 2020 में मॉनसून की एंट्री जून 01 को हुई थी। मौसम विभाग ने पिछले महीने बताया था कि इस साल भारत में सामान्य बारिश होनी है। अल-नीनो के बावजूद भी इस साल भारत में सामान्य बारिश दर्ज की जाएगी। पिछले महीने मौसम विभाग ने जो जानकारी दी थी उसके मुताबिक, मॉनसून के दौरान 96 प्रतिशत औसत वर्षा की भविष्यवाणी है। हालांकि, इसमें 5 प्रतिशत कम या ज्यादा का अंतर हो सकता है। इस दौरान सामान्य बारिश देखने को मिल सकती है जबकि अगस्त-सितंबर में मॉनसून का दूसरा भाग पर अल-नीनो का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस दौरान बारिश सामान्य से कम रहने की उम्मीद है।

इस साल सामान्य बारिश का अनुमान : इस साल मानसून (Monsoon Update ) के सामान्य रहने का अनुमान है। मौसम विभाग ने बीते महीने यह जानकारी दी थी। अगर बारिश सामान्य रहती है तो देश में फूड ग्रेन प्रोडक्शन भी नॉर्मल रहेगा। यानी इससे महंगाई से राहत मिल सकती है। देश में किसान आमतौर पर 1 जून से गर्मियों की फसलों की बुआई शुरू करते हैं। ये वो समय होता है जब मानसून की बारिश भारत पहुंचती है। फ सल की बुआई अगस्त की शुरुआत तक जारी रहती है।

देश में मानसून आने का नियम : देश में मानसून (Monsoon Update ) आने की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मानूसन की शुरुआत की घोषणा करने वाले 8 स्टेशनों में लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो। वहीं अल-नीनो और ला-नीना की बात करेंं तो अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के अनुसार, अल-नीनो और ला-नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल-नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला-नीना के कारण ठंडा। ट्रॉपिकल पैसिफि क यानी ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आने वाले बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल-नीनो कहते हैं। इस बदलाव की वजह होती है समुद्री सतह के तापमान का सामान्य से अधिक हो जाना। यानी सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होना. इसकी वजह ग्लोबल वॉर्मिंग भी हो सकती है।