Fish Farming : नौकरी की बजाय एमए पास युवा ने मछली पालन को बनाया व्यवसाय, चमकी किस्मत, एक साल में 9 लाख रुपये की कमाई

By admin
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Fish Farming
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Chhattisgarh News : प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार (Fish Farming) और आत्मनिर्भरता की ओर प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रभावी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं का लाभ उठाकर अनेक युवा अपनी मेहनत और लगन से सफलता की नई मिसाल गढ़ रहे हैं।

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ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है सरगुजा जिले के सीतापुर विकासखंड के ग्राम पंचायत उडुमकेला निवासी दिनेश सिंह की, जिन्होंने मत्स्य पालन को अपनी आजीविका का जरिया बनाकर न सिर्फ खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया, बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराया।

शिक्षा से लेकर स्वरोजगार तक का सफर (Fish Farming)

एमए (राजनीति विज्ञान) तक शिक्षित दिनेश सिंह ने पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश के बजाय स्वरोजगार को अपनाने का निर्णय लिया। इसी दौरान उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की जानकारी मिली, जिसके तहत मत्स्य पालन के लिए शासन द्वारा 40% की सब्सिडी प्रदान की जाती है। साल 2022 में उन्होंने अपनी एक हेक्टेयर निजी जमीन पर तालाब निर्माण के लिए आवेदन किया। योजना के तहत उन्हें कुल 4.5 लाख रुपये की सहायता राशि स्वीकृत हुई, जिसमें से 2.80 लाख रुपये उन्हें सब्सिडी के रूप में प्राप्त हुए।

सालाना 9 लाख रुपये की आमदनी (Fish Farming)

दिनेश सिंह ने अपने तालाब में 10000 नग फिंगरलिंग (रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प, रुपचंदा) का संचयन किया। वर्तमान में वे प्रति वर्ष लगभग 5-6 टन मछली का उत्पादन कर रहे हैं। थोक बाजार में 150 रुपये प्रति किलो की दर से मछली की बिक्री कर वे सालाना 8 से 9 लाख रुपये की आमदनी अर्जित कर रहे हैं। तमाम खर्चों को निकालने के बाद भी उनकी शुद्ध बचत 4 से 4.5 लाख रुपये तक हो रही है।

स्थायी रोजगार का भी जरिया बना व्यवसाय (Fish Farming)

दिनेश सिंह के इस सफल व्यवसाय से 2-3 लोगों को स्थायी रोजगार भी मिला है, जिससे उनके परिवारों की आजीविका सुनिश्चित हुई है। यह दिखाता है कि सरकार की योजनाएं सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि उनके जरिए सामुदायिक विकास को भी गति मिलती है।

योजनाओं से बदल रही ग्रामीण तस्वीर (Fish Farming)

दिनेश सिंह आज अपने गांव के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं। उनकी मेहनत, योजना की जानकारी और सही मार्गदर्शन ने उन्हें सफलता दिलाई है। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर युवा सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ उठाएं, तो न सिर्फ वे खुद आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि अपने गांव और समाज को भी आगे बढ़ा सकते हैं।

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