Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में खरीफ धान (Liquid Nano Urea) की बुवाई व रोपाई का काम लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। कई क्षेत्रों में कम बारिश होने के कारण लोगों नहरों, नालों, तालाबों व बोर पंप से सिंचाई कर रोपाई के काम में लगे हुए हैं। इस बीच प्रदेश के 30 लाख से अधिक किसानों को धान की अधिक पैदावार के लिए परंपरागत उर्वरकों के साथ-साथ लिक्विड नैनो यूरिया का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ शासन के कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि धान के कंशे बनने की अवस्था में बोरी यूरिया की जगह तरल रूप में उपलब्ध नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव अधिक प्रभावी है। यह यूरिया सीधे पत्तियों में चिपक कर नाइट्रोजन की पूर्ति करता है, जिससे पौधों की 80 प्रतिशत तक उपयोग क्षमता में वृद्धि होती है।
इस तरह Liquid Nano Urea का करें उपयोग
नैनो यूरिया के छिड़काव के लिए 1 लीटर पानी में 2-4 मिलीलीटर (4% नाइट्रोजन युक्त) नैनो यूरिया मिलाना चाहिए और इसे फसल के सक्रिय विकास चरण में पत्तियों पर छिड़कना चाहिए। एक एकड़ क्षेत्र में स्प्रेयर, बूम, पॉवर स्प्रेयर अथवा ड्रोन जैसे माध्यमों से छिड़काव के लिए 500 एमएल नैनो यूरिया पर्याप्त है। अधिकतम लाभ के लिए दो बार पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए—पहला छिड़काव सक्रिय टिलरिंग अवस्था में अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव पहले के 20-25 दिन पश्चात या फूल आने से पहले।
दर-दर खाद के लिए भटक रहे अन्नदाता
राज्य सरकार का दावा है कि किसानों की मांग अनुसार यूरिया, डीएपी व पोटाश जैसे उर्वरकों का पर्याप्त भंडारण किया जा रहा है। फिर भी कई जिलों में किसान खाद के लिए भटक रहे हैं। धान की खेती में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उपयोग बीज बुवाई से लेकर कंशे और गभोट अवस्था तक किया जाता है।
धान में इस तरह खाद का करें उपयोग
नाइट्रोजन पौधे की जड़ों, तनों और पत्तियों की वृद्धि में मदद करता है, वहीं फास्फोरस फूलों व फलों के विकास तथा पोटाश पौधों की मजबूती और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। जल्दी पकने वाली धान की किस्मों में आमतौर पर 24 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस और 24 किलोग्राम पोटाश की जरूरत होती है, जिसके लिए एक बोरी यूरिया, एक बोरी डीएपी या तीन बोरी एसएसपी और आधा बोरी पोटाश का उपयोग करना चाहिए।
धान की पौधों में कब डाले Liquid Nano Urea
धान के खेत की तैयारी के बाद जब तक फसल में कंशे नहीं आते, तब तक किसी भी प्रकार की खाद नहीं डालनी चाहिए। जब फसल 45-50 दिन की हो जाए और कंशे फुटने लगे, तब 24 किलोग्राम नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए एक बोरी यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए। वहीं, मध्यम अवधि में पकने वाली किस्मों के लिए खेत की तैयारी के समय 30 किलो नाइट्रोजन, 24 किलो फास्फोरस और 24 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है, जिसके लिए दो बोरी यूरिया, एक बोरी डीएपी या दो बोरी एसएसपी और आधा बोरी पोटाश पर्याप्त है। जब फसल 45-50 दिन की हो जाए, तब 30 किलो नाइट्रोजन का उपयोग किया जाना चाहिए।