Thursday, November 7, 2024
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Holi 2024 Date : 24 या 25 मार्च किस दिन खेली जाएगी होली, जानिए सही तारीख

Kab hai Holi : होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये त्योहार जीवन में उत्साह और उमंग को बनाए रखने का काम करता है। होली (Holi 2024 Date ) को रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार होली भगवान कृष्ण का प्रिय त्योहार होता है। इसलिए मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल और नंदगांव में इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस साल रंग वाली होली (Holi 2024 Date ) 25 मार्च को मनाई जाएगी। तो वहीं होलिका दहन का त्योहार 24 मार्च को मनाया जाएगा। पंचांग अनुसार होली की पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 24 मार्च 2024 को 09:54 AM से होगा और समापन 25 मार्च 2024 को 12:29 PM पर होगा।

ज्यादातर जगहों पर होली दो दिन मनायी जाती है। एक दिन होलिका दहन किया जाता है जिसे छोटी होली भी कहते हैं। तो वहीं होली के दूसरे दिन रंगवाली होली खेली जाती है जिसे बड़ी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली (Holi 2024 Date ) के त्यौहार से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें सबसे प्रमुख है हिरणकश्यप, प्रहलाद और होलिका की कहानी। दूसरी राधा कृष्ण की होली खेलने वाली कहानी। होली की पहली कथा के अनुसार हिरणकश्यप को अपनी शक्ति और बल पर काफी घमंड हो गया था वो अपने आगे भगवान तक को कुछ नहीं समझता था। क्योंकि उसका पुत्र पूरे दिन भगवान विष्णु की भक्ति में लगा रहता था तो उसे ये बात बर्दाश्त नहीं हुई।

इसलिए उसने अपने पुत्र को जलाने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद मांगी। हिरणकश्यप ने अपनी बहन को प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठने का आदेश दिया। क्योंकि होलिका को अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए हिरणकश्यप की बात मानकर होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई। लेकिन हुआ इसके उलट। होलिका जल गई और हिरणकश्यप का पुत्र प्रहलाद बच गया। कहते हैं तभी से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली से जुड़ी एक दूसरी कथा के अनुसार एक बार बाल गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि माता राधा इतनी गोरी है मैं क्यों नहीं हूं? तब यशोदा मां ने उनसे मज़ाक-मजाक में कह दिया कि, अगर तुम राधा के चेहरे पर रंग लगा दोगे तो राधा भी आपके रंग की हो जाएंगी। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों को रंग लगा दिया। इस तरह से ये पर्व रंगों के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।