Friday, November 8, 2024
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Exclusive Story : गन्ने की मिठास…….. कड़वी हो गई! प्रस्तावित शक्कर कारखाना प्रोजेक्ट बंद, अन्नदाताओं की आस बाकी, कर रहे गन्ने की खेती…

बरमकेला। दो दशक पहले सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के सरिया तहसील क्षेत्र में गांव-गांव गन्ने की बहुतायत खेती की जाती थी। इसे देखते हुए अविभाजित रायगढ़ जिले के कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह द्वारा रायगढ़ सहकारी शक्कर कारखाना अविभाजित जिला रायगढ़ में खोलेने की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए जगह भी चयन कर लिया गया था। प्रस्तावित शक्कर कारखाना के लिए बरमकेला जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत साल्हेओना के पास जंगल किनारे 200 एकड़ जमीन की सर्वे कर प्रस्तावित की गई थी। किंतु राजनैतिक इच्छाशक्ति कमजोर होने व व्यापारियों के फ ायदे के लिए सहकारी शक्कर कारखाना साल्हेओना रायगढ़ को खोलने के पहले ही उस बड़े प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया। वर्षो पहले साल्हेओना में शक्कर कारखाना न खुलने से क्षेत्र के किसानों को काफ ी झटका लगा था और अब भी उस प्रस्तावित सहकारी शक्कर कारखाना को लेकर किसानों को कमी महसूस हो रही है। वर्ष 1998 – 99 में रायगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह ने इस क्षेत्र में सर्वाधिक गन्ना की खेती किसानी को देख काफी अभिभूत हुए थे। चूंकि महानदी के किनारे गांवों में गन्ना फ सल लगाई जा रही थी। उस दौरान सिंचाई की सुविधा किसानों के पास ट्यूबवेलों की संख्या नहीं के बराबर था। बल्कि गन्ना फ सल को सिंचने के लिए नदी , नाले से पानी खींचकर की जाती थी। सरिया तहसील के सांकरा से लेकर विश्वासपुर तक के 200 से अधिक गांवों में गन्ना उत्पादन होता रहा। अच्छी किस्म की गन्ने होने के बावजूद भी इसकी बिक्री के लिए इस क्षेत्र के किसानों को ओडिशा राज्य की बरगढ सहकारी शक्कर कारखाना पर निर्भर रहना पड़ता था। जहां किसानों को वाजिब दाम न मिलने की स्थिति को देख तत्कालीन कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह ने एक समिति गठित कर रायगढ़ सहकारी शक्कर कारखाना खोलने की कड़ी मेहनत की थी। उन्होंने स्वयं प्रस्तावित शक्कर कारखाना के लिए जगह चयन करने कई दिनों तक प्रशासनिक अमले के साथ दौरा किए थे। ऐसे में ग्राम पंचायत साल्हेओना के पास छेवारीपाली जलाशय किनारे की 200 एकड़ जमीन को पास किया गया। इसके लिए उस समय की एक लाख बयासी हजार रुपए का प्रोजेक्ट तैयार की गई। प्राक्कलन भी बन गए थे। इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर सिंह के निर्देश पर हजारों किसानों से रायगढ़ सहकारी शक्कर कारखाना के नाम पर शेयर राशि प्रति एकड़ के हिसाब से ली गई। किंतु डेढ़ – दो साल बाद अचानक से प्रस्तावित सहकारी शक्कर कारखाना पर ग्रहण लग गया और किसानों के शेयर राशि वापस होने लगे। ऐसे में किसानों को भारी मायुसी हुईं तथा शक्कर कारखाना न होने की कमी लोगों को खल रही है।लेकिन अब भी कुछेक गांवों के किसानों ने गन्ने की खेती को कायम रखा है और परंपरागत ढंग से इसकी फ सल लगा रहे हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा सीमित रकबे पर गन्ने की फ सल उत्पादन किया जा रहा है।

 

 

 

उम्मीदों पर फिरा पानी : किसानों का कहना है कि यदि साल्हेओना में सहकारी शक्कर कारखाना स्थापित हो जाती तो व्यापारियों के राइस मिल बंद पड़ जाते। धान की उत्पादन नहीं होता। सीधे तौर पर कहा जाए तो शक्कर कारखाना खुलने की पीछे राजनैतिक नफ ा नुकसान भी हो रहा था। सरिया क्षेत्र के आंचलिक किसान नेता मोहन पटेल का कहना है कि कोई भी पार्टी नहीं चाहतीं हैं कि किसान – मजदूर वर्ग से जनप्रतिनिधि बनकर चुनकर आए। आज भी किसानों की हितैषी बनने की दिखावा हो रही है। हकीकत में किसानों की उम्मीदों पर कुठाराघात कर दिया गया है। अब भी कई किसानों के शेयर राशि वापस नहीं मिल पाई है। न कोई प्रयास कर रहा है। बताया जाता है कि उस दौरान अविभाजित रायगढ़ जिले से स्वास्थ्य मंत्री रहे कृष्ण कुमार गुप्ता, स्व. नंदकुमार पटेल, स्वा .डा. शक्राजीत नायक व डा. जवाहर नायक जैसे दमदार जनप्रतिनिधि थे।

 

 

नहीं छोड़ा गन्ने की फसल : अंचल के गांव मानिकपुर बड़े, महाराजपुर, कंचनपुर, भुलूमुडा, जलगढ़, बरपाली, छेवारीपाली आदि के किसानों ने गन्ना फ सल लेना नहीं छोड़ा है। मौजूदा समय में घर के पीछे स्थित बाड़ी में परंपरागत चरखे को गाड़कर उसमें गन्ने की पेराई कर रहे हैं। मानिकपुर बड़े के संतराम निषाद, पुराऊ मालाकार, श्यामलाल, भारत मालाकार ने बताया कि शक्कर कारखाना न होने की वजह से गांवों में ग्रीष्मकालीन धान फ सल के प्रति रुझान बढ़ा है। एक पीपा गन्ने रस से ढ़ाई किलोग्राम गुड़ बनता है। इसके लिए पांच- छ: पीपे गन्ने रस को एक साथ लोहे के बड़े बर्तन पर उचित तापमान में दो-तीन घंटे तक पकाया जाता है।

 

 

क्या कहते हैं अध्यक्ष : प्रस्तावित रायगढ़ जिले की सहकारी शक्कर कारखाना के लिए साल्हेओना के पास जगह चयनित हुआ था। इसके लिए काफ ी प्रयास किए गए थे। किंतु उक्त प्रोजेक्ट कैसे बंद हो गया है जानकारी नहीं दी गई। अब भी किसानों के शेयर राशि सरकार के पास है। ये राशि किसानों को वापस होनी चाहिए।
मोहन पटेल, अध्यक्ष प्रस्तावित सहकारी शक्कर कारखाना समिति, रायगढ़