Free Electricity Policy : केंद्र सरकार ने बिजली कानून में संशोधन (Electricity Amendment Bill 2025) के तहत अब यह सुनिश्चित करने की तैयारी कर ली है कि किसी विशेष वर्ग को दी जाने वाली मुफ्त बिजली का आर्थिक बोझ सामान्य उपभोक्ताओं पर न पड़े। सरकार ने बिजली कानून में संशोधन से जुड़ा ड्राफ्ट जारी किया है, जिस पर 9 नवंबर तक सुझाव और आपत्तियाँ भेजी जा सकती हैं।
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राज्य सरकार को पहले देना होगा डिस्कॉम को पैसा
नए Electricity Amendment Bill 2025 के अनुसार, अब राज्य सरकारें यदि किसानों या किसी विशेष श्रेणी को मुफ्त बिजली देना चाहेंगी, तो उसकी राशि पहले ही बिजली वितरण कंपनी (Discom) को जमा करानी होगी। अभी तक कई राज्यों में यह प्रावधान है कि डिस्कॉम मुफ्त बिजली की सब्सिडी की राशि राज्य सरकार से बाद में प्राप्त (Electricity Amendment Bill 2025) करते हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ता है और नुकसान की भरपाई सामान्य उपभोक्ताओं से की जाती है।
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अब लागू होगा Cost Reflective Tariff System
नए ड्राफ्ट के अनुसार, बिजली का टैरिफ अब कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ (Cost Reflective Tariff System) पर आधारित होगा। इसका अर्थ है कि डिस्कॉम उपभोक्ता से वही कीमत वसूलेगी, जितनी उसे बिजली वितरण में वास्तविक लागत आई है। इसके ऊपर केवल एक निश्चित मुनाफा (Margin) ही जोड़ा जाएगा, जिसे राज्य विद्युत नियामक आयोग (Electricity Amendment Bill 2025) तय करेगा। अभी तक यह स्पष्ट नहीं होता था कि डिस्कॉम द्वारा प्रस्तावित टैरिफ में क्या-क्या लागतें शामिल हैं। कई बार राज्य सरकारें राजनीतिक कारणों से किसानों या घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त या सस्ती बिजली देती हैं, लेकिन उसका भुगतान समय पर नहीं करतीं। अब नई व्यवस्था में यह प्रावधान खत्म कर दिया गया है।
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किसी एक डिस्कॉम का नहीं होगा एकाधिकार
नए Electricity Amendment Bill 2025 के तहत बिजली वितरण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अब एक ही इलाके में सरकारी और निजी दोनों प्रकार की बिजली वितरण कंपनियां (Discoms) काम कर सकेंगी। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली कम दरों पर मिल सकेगी और डिस्कॉम के बीच प्रतिस्पर्धा (Electricity Amendment Bill 2025) बढ़ेगी। कई बार राज्य सरकारों के दबाव में डिस्कॉम बिजली दरें नहीं बढ़ा पातीं, जिससे उनका घाटा बढ़ता है और बिजली उत्पादक कंपनियों को भुगतान में देरी होती है। इस चक्र को तोड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा का रास्ता खोला जा रहा है।
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बिजली क्षेत्र में आएगा पारदर्शिता और सहयोग का युग
क्योंकि बिजली संविधान की समवर्ती सूची (Concurrent List) में आती है, इसलिए केंद्र और राज्य दोनों का इसमें समान अधिकार है। केंद्र सरकार ने कहा है कि यह संशोधन राज्यों से परामर्श लेकर लागू किया जा रहा है। नए बिल के तहत एक Electricity Council बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है, जिसमें केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधि मिलकर बिजली क्षेत्र में सुधार, मूल्य निर्धारण और नीति-निर्माण पर संयुक्त रूप से निर्णय लेंगे।

			






		
		