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CGPSC : छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बना, अब यूपीएससी की तर्ज पर होगी परीक्षाएं

CGPSC Exam Update : छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को संघ लोक सेवा अयोग की तर्ज पर पारदर्शी बनाने हेतु सुझाव देने के लिए संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार जोशी की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया है। इस संबंध में महानदी भवन मंत्रालय स्थित सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है।

CGPSC Examinations : राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विकास विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार जोशी की अध्यक्षता में गठित आयोग छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं को संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर पारदर्शी बनाने हेतु सुझाव देने के साथ ही विभिन्न विभागों के लिए परीक्षा आयोजन का वार्षिक कैलेण्डर बनाने तथा परीक्षार्थियों में आयोग के प्रति विश्वसनीयता बनाए जाने के लिए भी सुझाव देगी।

बता दें कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में सीजीपीएससी (CGPSC) की परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के लिए पहल करने का वादा किया था। भाजपा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के नेताओं और अधिकारियों में सांठगांठ से भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया था। भाजपा ने इसे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाकर इसकी कांग्रेस सरकार से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। भाजपा ने सीजी पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष पर अपने रिश्तेदारों का चयन का आरोप लगाया था।

11 मई 2022 को पीएससी ने रिजल्ट जारी किया था। इसके बाद भाजपा ने अभ्यर्थियों की शिकायतों को गंभीरता से लेकर इसकी जांच की तो कई गड़बडि़यां सामने आईं। सही उत्तर लिखने वाले को कम नंबर और गलत उत्तर लिखने वाले को ज्यादा नंबर दिए गए थे।

भाजपा ने जारी रिजल्ट की सूची में ज्यादातर कांग्रेस के नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों के रिश्तेदारों के चयन करने का आरोप लगाया था। भाजपा नेताओं ने दावा करते हुए कुछ लोगों के नाम भी जारी किए थे। सीजीपीएससी के अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी पर सिंडिकेट बनाकर घोटाला करने का आरोप लगाया था।

भाजपा की सरकार आने के बाद सीजीपीएससी के प्रभारी अध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों-कर्मचारियाें को हटा दिया गया है। उनकी जगह पर दूसरे अधिकारियों को लाया गया है।

बता दें कि सीजीपीएससी (CGPSC) में गड़बड़ी को लेकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाया था। साथ ही इसे मोदी की गारंटी में भी शामिल किया था कि भाजपा की सरकार आने के बाद इसकी सीबीआई जांच कराई जाएगी। सरकार बनते ही भाजपा ने पहले विधानसभा में सीबीआई से जांच कराने की घोषणा की। फिर सीबीआई को जांच सौंप दी।

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