CG Weather Update प्रदेश में पिछले 11 सालों में अगस्त माह में भारी से अतिभारी बारिश का ट्रेंड रहा है। इस महीने औसतन 16 दिन ‘रेनी डे’ होता है, जबकि रायपुर में औसतन 14 दिन बारिश होती है और एक माह में लगभग 334 मिमी पानी गिरता है। लेकिन इस बार 1 से 11 अगस्त तक केवल 42 मिमी पानी गिरा है। अगले 5 दिनों में उत्तर छत्तीसगढ़ में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जबकि मध्य छत्तीसगढ़ में अगले 4 दिनों तक बारिश कम होगी। इसके बाद प्रदेश में वर्षा गतिविधियां तेज हो सकती हैं।
अगस्त में कहीं-कहीं भारी बारिश हो रही है, लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में कम पानी गिरा है। राजधानी रायपुर में बारिश नहीं होने के कारण उमस बढ़ गई है। प्रदेश में अब तक सामान्य से 5% कम यानी 674.8 मिमी पानी गिरा है, जबकि 31 जुलाई तक यह आंकड़ा 633 मिमी था। इस बार बादल उत्तर छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में सबसे ज्यादा बरस रहे हैं। रायपुर में भी सामान्य से 4% कम यानी 600.4 मिमी बारिश हो चुकी है। मौसम विभाग के अनुसार, अगस्त में गर्जना का औसत 2 से 3 दिन होता है, जिससे बिजली गिरने की संभावना भी बढ़ जाती है।
12 अगस्त से 15 अगस्त के बीच बस्तर संभाग के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है। सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव और नारायणपुर इन 6 जिलों में बिजली गिरने, गरज-चमक के साथ भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं सरगुजा, रायपुर, दुर्ग, बालोद, धमतरी, कांकेर समेत 9 जिलों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने का यलो अलर्ट है।
पिछले 36 घंटों में प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश (CG Weather Update) दर्ज की गई, जबकि कई जिले शुष्क रहे। अधिकतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस दुर्ग में और न्यूनतम तापमान 22.0 डिग्री सेल्सियस राजनांदगांव में रहा। 1 से 11 अगस्त के बीच जहां सामान्यतः 141.8 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, वहां अब तक केवल 47.7 मिमी पानी बरसा है, जो कि सामान्य से करीब 66% कम है।
आषाढ़ के अंतिम और सावन की शुरुआत में मानसून सक्रिय रहा, जिससे लगातार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। लेकिन सावन के अंत में मानसून ब्रेक की स्थिति बन गई, जिससे जेठ जैसी तपन और उमस बढ़ गई। अब लोग गर्मी से बेहाल हैं।
CG Weather Update जानिए क्यों गिरती है बिजली
बिजली गिरने के कारणों पर मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि आसमान में विपरीत एनर्जी वाले बादल हवा के साथ उमड़ते-घुमड़ते हैं। जब ये विपरीत दिशा में जाकर आपस में टकराते हैं, तो घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली धरती पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम की तलाश करती है जिससे वह गुजर सके। अगर यह बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है, तो वह कंडक्टर का काम करते हैं, लेकिन अगर उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाए, तो वह भी सबसे प्रभावी कंडक्टर बन जाता है, जिससे गंभीर हादसे हो सकते हैं।
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