Chhattisgarh Assembly Election 2023 : छत्तीसगढ़ आगामी विधानसभा चुनावों (CG Elections ) के लिए पूरी तरह तैयार है। छत्तीसगढ़ सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता के दम पर सत्ताधारी दल कांग्रेस (Congress) को उम्मीद है कि राज्य में उसे फिर से जीत मिलेगी।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) फिर से सत्ता हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर BJP और कांग्रेस सबसे प्रमुख राजनीतिक दल माने जाते हैं। राज्य में कुछ अन्य राजनीतिक दल भी हैं, लेकिन उनका प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। हालांकि, इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) बीजेपी और कांग्रेस के गढ़ को भेदने की कोशिश कर रही है।
छत्तीसगढ़ में 2018 के 90 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों (CG Elections ) के बाद विपक्ष तेजी से कांग्रेस के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रहा है। 2018 में कांग्रेस ने रमन सिंह के नेतृत्व वाली BJP सरकार के 15 साल के शासन को समाप्त करते हुए 90 सदस्यीय विधानसभा में 68 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 68 सीटें जीती थीं, जबकि BJP 15 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (J) को 5 सीटें मिली थीं और उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 2018 में 43.04% मत मिले थे, जो BJP (32.97%) से लगभग 10 फीसदी अधिक था। सत्ताधारी दल ने 2018 के बाद 5 विधानसभा सीटों (CG Elections ) पर हुए उपचुनावों में जीत के साथ राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। वर्तमान में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 71 है। वहीं, BJP के पास 13, जेसीसी(J) के पास 3 और BSP के पास दो सीटें हैं। एक सीट खाली है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP भी छत्तीसगढ़ में दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रही है। 2018 के विधानसभा चुनावों में AAP ने कुल 90 सीटों में से 85 पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन राज्य में अपना खाता खोलने में विफल रही। राज्य में 7 और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 12 आदिवासी सीटों समेत 20 विधानसभा क्षेत्रों के लिए तथा दूसरे चरण में 17 आदिवासी सीटों समेत 70 सीटों के लिए मतदान होगा।
भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस को घेर रही BJP : राज्य में एक साल पहले तक कांग्रेस अपनी लोकलुभावन योजनाओं और ‘छत्तीसगढ़ियावाद’ के दम पर आराम से एक बार फिर सरकार (CG Elections ) बनाने की स्थिति में दिख रही थी। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में हालांकि परिदृश्य बदलता दिख रहा है। राज्य में बीजेपी कथित घोटालों, तुष्टिकरण की राजनीति और धर्मांतरण को लेकर बघेल सरकार के खिलाफ लगातार हमला कर रही है।
भगवा पार्टी अब चुनावी (CG Elections ) रणनीति के तहत सरकार को भ्रष्टाचार और कुशासन के मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रही है। केंद्र में सत्तारूढ़ BJP अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है। वहीं, पार्टी के स्टार प्रचारक राज्य में अपनी यात्राओं के दौरान कई मुद्दों, विशेषकर भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस सरकार पर खुलकर हमले कर रहे हैं।
22 सीटों पर टिकीं सबकी निगाहें : कांग्रेस ने इस बार अपने 22 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। हटाए गए लोगों में पूर्व मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम जैसे दिग्गज नेता भी शामिल हैं। यह घटना कांग्रेस के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्टी ने बगावत के डर से बहुत कम मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है। सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकप्रिय तो हैं, लेकिन मौजूदा विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। इसलिए पार्टी के पास सर्जिकल कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन 22 सीटों पर होने वाला मुकाबला अब राज्य में सबसे ज्यादा उत्सुकता से देखा जाने वाला मुकाबला बन जाएगा। एक सकारात्मक परिणाम यह भी हो सकता है कि कांग्रेस आगे चलकर अन्य राज्यों में भी इसी तरह का रवैया अपनाए। कांग्रेस के अलावा बीजेपी ने अपने पिछले 25 प्रतियोगियों को टिकट देने से इनकार कर दिया है, जिन्होंने पिछला चुनाव लड़ा था। लेकिन बीजेपी ऐसी कार्रवाइयों के लिए जानी जाती है। भगवा पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से अपने सभी मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए थे।
टिकट बंटवारे में जाति हावी : दोनों प्रमुख पार्टियों (CG Elections ) की टिकट बंटवारे की कवायद में जाति का महत्व भी सामने आया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने साहू समुदाय से 7 उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी पार्टी ने भुनेश्वर साहू की हत्या पर साहू समुदाय के गुस्से को ध्यान में रखते हुए संख्या बढ़ाकर 9 कर दी है।
दूसरी ओर, बीजेपी ने 2018 में 14 साहू और 7 कुर्मी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। वहीं, भगवा पार्टी ने इस बार 11 साहू और 8 कुर्मी को टिकट दिया है। कांग्रेस ने इस बार 9 कुर्मी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बता दें कि मैदानी इलाकों में सबसे ज्यादा उम्मीदवार साहू और कुर्मी समुदाय से आते हैं। साहू और कुर्मी दोनों ही राज्य में प्रमुख OBC जाति के हैं।
इसके अलावा, कांग्रेस ने 8 ब्राह्मणों को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बीजेपी ने 6 ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा, 18 महिलाएं कांग्रेस के टिकट पर इस बार चुनाव लड़ेंगी। जबकि बीजेपी ने 15 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
नाराज गुटों को खुश करने की कोशिश : कांग्रेस और बीजेपी दोनों में ऐसे कई वरिष्ठ नेता थे जो अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट पाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन केवल वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा अपने बेटे पंकज शर्मा को टिकट दिलाने में सफल रहे। बताया जाता है कि पिछले 15 साल से रायपुर ग्रामीण में पंकज के जमीनी राजनीतिक काम को देखते हुए उन्हें टिकट दिया गया।
राजनांदगांव निर्वाचन क्षेत्र में सीएम भूपेश बघेल के करीबी दोस्त गिरीश देवांगन पूर्व सीएम रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। रायपुर के पास धरसीवा के रहने वाले देवांगन को कथित कोयला घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का सामना करना पड़ा था। वह छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम में अध्यक्ष के पद पर भी हैं। यहां तक कि कांग्रेस नेताओं के पास भी इस सवाल का जवाब नहीं है कि पार्टी ने राजनांदगांव से देवांगन को क्यों मैदान में उतारा।
कांग्रेस के भीतर विभिन्न गुटों ने टिकट आवंटन प्रक्रिया को काफी प्रभावित किया है, जिससे कई सीटों पर चुनौतियां पैदा हो गई हैं। पहले चरण में जिन 20 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें से केवल एक मौजूदा विधायक को टिकट नहीं मिला है। उसने अब बगावत कर दी है। बस्तर की अंतागढ़ सीट से विधायक अनूप नाग ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है।