राजनीति

CG CONGRESS : कर्नाटक में खाता खुला…दिल्ली में रोडमैप तैयार हुआ अब 2 को बस्तर की धरती से चुनावी बिगुल फूंकेगी कांग्रेस

CG Congress News : कर्नाटक की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की जंग फतह करने की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से एक्टिव हो गई है। छत्तीसगढ़ (CG CONGRESS ) और राजस्थान में कांग्रेस अपनी सत्ता को बचाए रखने की कवायद कर रही है तो मध्यप्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में वापसी का तानाबाना बुन रही है।

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं, जिसमें से हिंदी बेल्ट वाले तीनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। इसका रोडमैप तैयार हो चुका है। शुक्रवार व शनिवार और रविवार को बैक टू बैक दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने पांचों राज्यों के लिए रोडमैप तैयार कर लिया है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस (CG CONGRESS ) 2 जून को बस्तर में सियासी पिच पर फिल्डिंग सेट करने उतरेगी मतलब दिल्ली में आलाकमान द्वारा सत्ता बचाए रखने के लिए जो प्लानिंग की गई है, उसे 2 जून को बस्तर के जगदलपुर में आयोजित संभागीय सम्मेलन में जानकारी दी जाएगी। इस सम्मेलन में कांग्रेस आलाकमान का संदेश देने के साथ ही बस्तर संभाग के बूथ कमेटियों का रिव्यू भी किया जाएगा।

कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में बूथ मैनेजमेंट पर सबसे ज्यादा फ ोकस किया था। इस बार भी कांग्रेस अपने सभी संभागों के बूथ कमेटियों का रिव्यू कर रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो बस्तर के बूथ कमेटी का रिव्यू बाकी है इसलिए संभागीय सम्मेलन के सहारे इसका रिव्यू भी किया जाएगा। इसके अलावा बस्तर की 12 सीटें भले ही अभी कांग्रेस के पास हैं लेकिन इनमें से कुछ सीटों पर वर्तमान विधायकों का प्रदर्शन काफी कमजोर है। इसे देखते हुए सम्मेलन में स्थानीय कार्यकर्ताओं से इसके बारे में फ ीडबैक भी लिया जाएगा। विधायकों के बदलाव पर भी मंथन किया जाएगा।

बड़ी योजनाओं की देंगे जानकारी : कांग्रेस ने इस साल नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल फूंक दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पांचों राज्यों की ताकत व कमजोरी का रिव्यू कर प्रदेश प्रभारियों के साथ प्रदेश कांग्र्रेस को साफ-साफ संदेश दे दिया है। पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस छत्तीसगढ़ को लेकर काफ ी आश्वस्त है, लेकिन चुनाव में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।

चुनाव के ठीक पहले पार्टी ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी के दिग्गज और आदिवासी नेता नंदकुमार साय को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराके अपनी ताकत दिखाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने विकास कार्यों और लोकलुभाने वादे के चुनावी मैदान में उतरने की रूपरेखा बनाई है। छत्तीसगढ़ सरकार की कई योजनाओं के भरोसे कांग्रेस ने हिमाचल व कर्नाटक फतह भी किया है। ऐसे में सरकार की बड़ी योजनाओं की जानकारी देकर पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को बूथ तक लोगों के बीच योजनाओं की जानकारी देने का टॉस्क भी दिया जाएगा ताकि सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस मजबूती के साथ लोगों के बीच जा सके।

सांसद से लेकर बूथ प्रभारी तक होंगे शामिल : इस संभागीय सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा, सीएम भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ कांग्रेसाध्यक्ष मोहन मरकाम, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, प्रदेश प्रभारी सचिव डॉ. चंदन यादव, सप्तगिरी शंकर उल्का, संयुक्त सचिव विजय जांगिड़ एवं समस्त मंत्री, कांग्रेस के राज्यसभा व लोकसभा सांसद, बस्तर संभाग के सभी विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, जिला प्रभारी पदाधिकारीगण, प्रदेश कांग्रेस के समस्त पदाधिकारीगण, मोर्चा, संगठन, प्रकोष्ठ, विभाग के प्रदेश अध्यक्ष एवं जिला अध्यक्षगण, जिला कांग्रेस कमेटियों के कार्यकारिणी, समस्त ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षगण, जिला एवं जनपद पंचायत के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष एवं सभापति, नगर पालिका निगम के महापौर एवं सभापति एवं पार्षदगण, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षगण, निगम मंडल बोर्ड के अध्यक्ष एवं पदाधिकारीगण कृषि उपज मंडी, सहकारी समितियों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों की उपस्थिति रहेंगे।

नाराज आदिवासियों को साधने की कोशिश…छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की काफ ी आबादी है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 30.62 प्रतिशत है। 2018 चुनाव के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 29 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 25 सीटें कांग्रेस को मिली थी, जो साल 2019 में दंतेवाड़ा और मरवाही उपचुनाव के बाद साल 2020 तक बढ़कर 27 हो गई। इस लिहाज से देखें तो कांग्रेस आदिवासी विधायकों के मामले में ज्यादा ताकतवर है। वर्तमान समय में कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों से समाज के लोग नाराज हैं।

दोनों ही पार्टियां इन्हें साधने व मनाने की कोशिशों में है। इसके पहले ही सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने आने वाले विधानसभा चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले 50 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। आदिवासी समाज का प्रभाव प्रदेश के 50 से 55 सीटों पर है। इससे दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों का इसका नुकसान होगा, खासकर कांग्रेस को, क्योंकि वर्तमान में कांग्रेस के ही विधायक सबसे अधिक हैं। ऐसे में कांग्रेस नाराज आदिवासियों को साधने की कोशिश कर रही है। बस्तर संभागीय सम्मेलन को इसे नजरिए से देखा जा रहा है।

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