रायपुर। छत्तीसगढ़ में नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा व जोरदार झटका लगा है। अविभाजित एमपी-सीजी के बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने सत्ता वापसी की कोशिशों में जुटी बीजेपी को झटका देते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया है। नंदकुमार साय व उनका परिवार पिछले चार दशकों से अधिक समय से बीजेपी से जुड़े हुए थे। सोमवार को शंकर नगर स्थित राजीव भवन में नंदकुमार साय को पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल, मंत्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय समेत अन्य कांग्रेस नेता उपस्थित थे। नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जुड़ा हाथ से हाथ, मिला आपका साथ। भरोसे के साथ जारी है, आदिवासी हित की बात। स्वागत एवं अभिनंदन डॉ नंद कुमार साय जी. हाथ से हाथ जोड़ो जारी हैÓ। भूपेश बघेल ने आगे कहा, नंदकुमार साय का जीवन सादगी भरा है। वे अनाज तो खाते हैं लेकिन नमक नहीं खाते। पूरा जीवन आदिवासियों की सेवा के लिए संघर्ष किया। गरीबों के लिए लड़ते रहे। हमारी सरकार बनने के बाद आदिवासियों के हित में लिए गए निर्णय पर सार्वजनिक रूप से हमारे कामों की प्रशंसा करते रहे हैं। भूपेश बघेल ने कहा, नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने की बातचीत पहले से चल रही थी। लेकिन कल रात में नंद कुमार साय ने कांग्रेस में शामिल होने का मन बनाया, और पत्र कुमारी सेलजा को भेजा।जिसके बाद कुमारी सेलजा ने ये जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को दी। फि र उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश की अनुमति दी। जिसके बाद पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने सदस्यता दिलाई।
बीजेपी के लिए बहुत बड़ा नुकसान : नंदकुमार साय के पार्टी छोडऩे के घटनाक्रम को छत्तीसगढ़ भाजपा का पिछले 4-5 सालों में सबसे बड़ा सियासी ब्लास्ट माना जा रहा है। ऐसे समय में जब छत्तीसगढ़ में 15 सालों बाद सिंहासन खोने वाली भाजपा भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को हटाने केक व फिर से सत्ता वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। इन परिस्थितियों में साय का भाजपा छोडऩा संगठन के लिए किसी बड़े सदमे से कम घटनाचक्र नहीं है। साय का कांग्रेस प्रवेश बीजेपी के लिए झटका ही नहीं, बल्कि बहुत बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
सरगुजा में खाता खुलना भी होगा मुश्किल…राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद यहां बीजेपी को खड़ा करने में नंद कुमार साय ने अहम भूमिका निभाई और संगठन को मजबूत किया। सरगुजा संभाग के जशपुर से आने वाले साय आदिवासियों के बड़े नेता माने जाते हैं। दिलीप सिंह जूदेव के बाद नंद कुमार साय सरगुजा इलाके के बड़े नेता माने जाते हैं। सरगुजा क्षेत्र में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं और बीजेपी के पास एक भी सीट नहीं है। अब जब साय कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं तो बीजेपी के लिए यहां मुश्किलें उतनी ही ज्यादा बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।
जानिए, नंदकुमार साय के बारे में….बीजेपी के प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। और 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गए। 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख रहे।नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।
कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद साय बोले- राजीव भवन में सीएम भूपेश बघेल व पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की उपस्थिति में कांग्रेस का दामन थामने के बाद प्रेस कांफ्रेस में नंदकुमार साय बोले कि ये निर्णय जीवन का बहुत कठिन निर्णय है। जनसंघ के समय से मैं और मेरे परिवार के लोग बीजेपी में रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं। अटल जी को फ ॉलो करता था। अटल,आडवाणी के दौर की जो बीजेपी पार्टी थी। वो पार्टी अब उस रूप में नहीं है। परिस्थितियां बदल चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में छोटे गांव और कस्बे थे। भूपेश सरकार के काम पर मैंने स्टडी की है। छोटे गांव और कस्बे अब शहर बन गए। हम कहते थे देशभर का नाता है, गौ हमारी माता है। लेकिन सीएम भूपेश बघेल ने इसे एक नया स्वरूप दिया है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना जनता के लिए कारगर साबित हुई है। मुझे अच्छा लगा भूपेश सरकार ने राम वनगमन पथ को बनाया। आज की तारीख में मैं बीजेपी में किसी पद पर नहीं था। मैं एक सामान्य कार्यकर्ता था। भले ही पार्टी में पद नहीं मिलता, लेकिन काम कैसे किया जा सकता है। ये तो पूछा जा सकता था। भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस अच्छा काम कर रही है। दल महत्व नहीं है, आम जनता से लिए काम करना है। मिलकर काम करेंगे तो छत्तीसगढ़ अच्छा होगा।