रायपुर। कंफर्ट जोन हमेशा एक सर्कल में चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें आपकी लाइफ जैसे चल रही है वैसी ही डेली रूटीन के साथ चलती रहती है। एक समय ऐसा आएगा जिसमें आपका मन कहेगा की इस कंफ र्ट जोन से निकल जाना चाहिए और वहीं दिमाग कहेगा कि मत निकल खतरा है, लेकिन इस सर्कल से निकलने का जो निर्णय होता है वो हमेशा दिल और मन से लिया गया निर्णय होता है। और वही आदमी जीवन में आगे जा पायेगा, सफ ल हो पाएगा जो अपने दिल की सुनकर इस कंफ र्ट जोन के सर्कल से बाहर निकलेगा। दिमाग हमेशा मना करेगा लेकिन तब दिल की सुनकर निर्णय लेना चाहिए। और यह सबसे ज्यादा भावनात्मक समय होता भी है । और यही समय आपको दूसरों से अलग भी बनाता है। जितने सफ ल लोग हैं उनकी लाइफ में कभी न कभी ऐसा भावनात्मक मोड़ आया होगा जिसमें उन्होंने अपने दिल की सुनी होगी। उक्त विचार पूर्व आईएएस ओमप्रकाश चौधरी (ओपी) के हैं। वे कहते हैं कि “I can’t live the life in comfort zone”. मुझे हार से कभी डर नहीं लगा। एक हार जहां लोगों को हिला कर रख देती है वहीं उनका मानना है कि वो अपने जीवन को हमेशा सकारात्मकता से जीते हैं। किसी भी विपरीत परिस्थिति को सकारात्मकता से सामना करने वाले ओपी मानते हैं कि एक हार आने वाले समय में आपके बड़े सफ लता का द्वार खोलेगी। अगर आप सकारातमक होते हैं। जिस दिन आपने इस दिल और दिमाग के द्वन्द को समझ लिया आपको आगे बढऩे से दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती।