श्री सिंहदेव ने ‘हमर ग्रामसभा’ में बताया कि 2 अक्टूबर 2014 से 31 मार्च 2020 तक स्वच्छ भारत मिशन का पहला चरण संचालित किया गया। इस दौरान गांवों को खुले में शौचमुक्त बनाने के लिए प्रदेश भर में 35 लाख 23 हजार घरेलू शौचालय बनाए गए। 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2025 तक मिशन के दूसरे चरण के दौरान खुले में शौचमुक्त गांवों की स्थिति बनाए रखते हुए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए गांवों और राष्ट्रीय राजमार्गों में पर्याप्त संख्या में सामुदायिक शौचालयों के निर्माण की योजना है। राष्ट्रीय राजमार्गों में बनने वाले सार्वजनिक शौचालयों में यात्रियों को विभिन्न सुविधाएं मुहैया कराने दुकान भी बनाए जाएंगे। स्वसहायता समूहों के माध्यम से इनके संचालन से ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने कार्यक्रम में बताया कि गांवों में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए प्रत्येक जनपद पंचायत क्षेत्र में 16 लाख रूपए की लागत से शेड का निर्माण किया जाएगा। यहां प्लास्टिक, सूखा और गीला कचरा को अलग-अलग कर उनका समुचित प्रबंधन किया जाएगा। श्री सिंहदेव ने जानकारी दी कि जिन घरों में अभी तक शौचालय नहीं बने हैं वहां इनके निर्माण के लिए शासन द्वारा 12 हजार रूपए की सहायता उपलब्ध कराई जाती है। पंचायत सचिव द्वारा शौचालय के बारे में ग्रामीणों को तकनीकी जानकारी दी जाती है। उन्होंने कार्यक्रम में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन एवं गौधन न्याय योजना के बारे में भी बताया।