Friday, November 8, 2024
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बस्तर बैंड की धुन पर झूमे सीएम भूपेश, बजाया मुंडा बाजा, मिलाया ताल से ताल नन्ही कलाकार को गोद में उठाया

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 19 अप्रैल से शुरू हुए इस महोत्सव में जनजातीय साहित्यकार, विषय-विशेषज्ञ, शोधार्थी, चित्रकार एवं कलाकारों का समागम हो रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे। सीएम ने कहा, आदिम जनजातियों की संख्या भी लगातार घट रही है, जो चिंता का विषय है। यहां की पंडो जनजाति एलोपैथी दवाई लेती ही नहीं। इसकी वजह से छोटी-छोटी बीमारियों से जान चली जाती है। वहां जनजागृति भी करनी जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमें भाषा, संस्कृति, नृत्य और साहित्य को ही नहीं बचाना। हमारे ऊपर उन जनजातियों को भी बचाने की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन दो धाराओं यानि समाज की मुख्य धारा और आदिवासी धारा के बीच ‘सेतुÓ के रूप में कार्य करेगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री बघेल ने प्रख्यात कवि एवं पद्मश्री डॉ हलधर नाग को सम्मानित करते हुए गले भी लगाया।

 

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

नन्हीं कलाकार को गोद में उठाया : महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर प्रख्यात बस्तर बैंड की प्रस्तुति अतिथियों के सामने हुई। जनजातीय समुदाय के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति देने वाले बस्तर बैंड ने अपनी शानदार पेशकश से शुभारंभ अवसर पर ऐसा माहौल बनाया कि वहां मौजूद हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। लोग वाद्य यंत्रों की मनमोहक धुन पर थिरकते नजर आए। एक वक्त ऐसा भी आया, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अपने आप को थिरकने से रोक नहीं पाए और उन्होंने भी मुंडा बाजा थामा और थाप देने लगे। मुख्यमंत्री ने बस्तर बैंड के कलाकारों के साथ ताल से ताल मिलाया। मुख्यमंत्री इस मौके पर कलाकारों के साथ इतने भाव-विभोर हो गए कि बस्तर बैंड में शामिल नन्ही कलाकार जया सोढ़ी को गोद में उठाया और उसे प्रोत्साहित किया।

जनजातीय साहित्य को लिपिबद्ध करने की जरूरत: मंत्री डॉ. टेकाम

अछूता राज्य आज बन गया अंतरराष्ट्रीय : छत्तीसगढ़ राज्य 44′ जंगल से घिरा हुआ है। यहां 31′ जनजातियां निवास करती हैं। उनकी अलग भाषा-बोली और जीवन शैली है। छत्तीसगढ़ देश का नौवा और जनसंख्या की दृष्टि से 16वां बड़ा राज्य है। इतना सब होते हुए भी अब तक यह अछूता प्रदेश रहा है। राज्य निर्माण के साथ यहां एक चीज जुड़ गई नक्सल के नाम पर। लोग डरते हैं कि एयरपोर्ट के बाहर निकलेंगे तो नक्सली पकड़ लेंगे। पिछले तीन सालों में हमने जो किया वह सबके सामने है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव किया वह अंतरराष्ट्रीय हो गया। दुनिया के कई देशों के प्रतिभागी आए। बाहर के लोग आए तो इस राज्य के प्रति उनकी सोच बदली है। इसके पहले सभागार में सीएम सहित, आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने दीप जलाकर महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव

महोत्सव में पहुंचे सैकड़ों साहित्यकार-विद्वान : 21 अप्रैल तक चलने वाले आयोजन में जनजातीय विषयों पर लिखने वाले साहित्यकारों, शोधार्थियों और विश्वविद्यालय के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है। अब तक उन विषयों पर 80 शोधपत्र मिल चुके हैं। छत्तीसगढ़ के भी 100 से अधिक साहित्यकार और विद्वान इस महोत्सव में शामिल होने आ रहे हैं। इस महोत्सव में झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मेघालय, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और दिल्ली से भी साहित्यकार शामिल होने पहुंचे हैं।

कला की प्रतियोगिता भी होगी : साहित्य महोत्सव के अंतर्गत कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता तीन आयु वर्गो में चित्रकला प्रतियोगिता के लिए राज्यभर के प्रविष्टियां आमंत्रित हो गई हैं। अब तक तीनों आयु वर्गों में 100 प्रविष्टियां प्राप्त हो गई हैं। इसके अतिरिक्त हस्तकला के अंतर्गत माटी, बांस, बेलमेटल, लकड़ी की कलाकृतियों का प्रदर्शन भी होना है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे। महोत्सव में एक पुस्तक मेला भी लगाया गया है। इसमें देश के प्रतिष्ठित प्रकाशक अपनी किताब लेकर आए हैं। इन प्रकाशकों में नेशनल बुक ट्रस्ट, वाणी प्रकाशन-ज्ञानपीठ, राजकमल प्रकाशन, सत्यम पब्लिशिंग, कौशल पब्लिशिंग हाउस, सरस्वती बुक प्रकाशन, फारवर्ड प्रेस, कावेरी बुक सर्विस, वैभव प्रकाशन, हिंदी ग्रंथ अकादमी और गोंडवाना साहित्य का नाम शामिल है।