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रायपुर। छत्तीसगढ़ में किसानों द्वारा आत्महत्या करने के मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जांच पूरी होने के बाद राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी रिपोर्ट सौंपते हुए समिति ने कुछ बिन्दुओं पर अपनी अनुशंसा कर शासन से कदम उठाने का आग्रह किया है। प्रदेश में किसानों द्वारा की जाने वाली खुदकुशी की घटनाएं चिंताजनक रूप से बढ़ी है। हाल में प्रदेश के रायपुर और दुर्ग जिले में किसानों द्वारा अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेने की घटना ने समूचे प्रदेश को मर्माहत कर दिया। ऐसी दुखद घटनाओं की परिस्थिति की जांच करने, तथ्यों का पता लगाने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने पार्टी की एक तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया। समिति ने प्रभावित स्थानों का दौरा कर, पीडि़त परिवारों से मिल कर तथ्यों और परिस्थितियों की जानकारी ले कर अपनी रिपोर्ट प्रदेशाध्यक्ष श्री साय को सौंप दिया है। साथ ही राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी रिपोर्ट सौंपते हुए समिति ने कुछ बिन्दुओं पर अपनी अनुशंसा कर शासन से कदम उठाने का आग्रह किया है।
मौके पर पहुंच कर की जांच: भाजपा जांच दल ने 17 अक्टूबर को जिला रायपुर में अभनपुर ब्लॉक के ग्राम दादरझोरी का दौरा कर पीडि़त परिवार से मुलाकात की। साथ ही किसान के परिजनों और संबंधित लोगों से मिलकर तथ्य जुटाये। जो भी तथ्य सामने आये उससे स्पष्ट होता है कि 35 वर्षीय युवा किसान कमलेश पिता श्री कांशीराम साहू अपने खराब फसल को देखकर बहुत हताश हो गये थे। उन्होंने अपने ही खेत के वृक्ष में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। जांच दल ने कीट प्रकोप से प्रभावित उस खेत तक पहुंचकर जानकारी ली है और यह पाया कि अनेक बार दवाई छिड़कने के बाद भी खेत की बीमारी का नियंत्रण नहीं हो पाया क्योंकि दवाईयां गुणवत्ताहीन और असरहीन था। यह अपने आप में सरकार के सिस्टम की असफलता का उजागर करती है।
किसान ने बैंक से लिया था ऋण: इसी तरह दुर्ग जिले के धमधा तहसील के ग्राम हरदी का दौरा जांच दल ने दौरा किया जहां पर 45 वर्षीय किसान लीलूराम पटेल पिता पूनाराम पटेल ने अपने खेत पर खराब फसल को देखकर हताशा में उन्होंने भी आत्महत्या कर लिया। स्व. पटेल ने बैंक ऑफ इंडिया से किसान क्रेडिट कार्ड से 1 लाख 25 हजार का ऋ ण लिया था तथा अन्य स्थान से भी कर्ज ले रखा था। दोनों प्रकरणों में एक समानता देखी गयी कि दोनों किसान 1 एकड़ 25 डिसमिल सीमांत कृषक थे और दोनों ने उतनी ही जमीन रेग पर लेकर फसल लगाया था। फसल खराब होने की स्थिति में कर्ज पटाने की चिंता में थे। खेती की गिरती हालत के कारण दोनों किसानों ने आत्महत्या की है। ऐसी स्थिति में दोनों परिवारों को तत्काल प्रभाव से सहायता राशि देना जरूरी है। जांच दल का स्पष्ट अभिमत है कि राज्य सरकार की नीतियां इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
जांच कमेटी ने निकाला यह निष्कर्ष: समिति का यह निष्कर्ष है कि हर स्तर पर फैले भ्रष्टाचार के कारण अमानक खाद-बीज-कीटनाशक की आपूर्ति इन समूचे प्रदेश की समस्या है। साथ ही ऋ ण के जाल में उलझ कर किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है। शासन की फसल खरीदी नीति और अन्य व्यवस्था भी मुकम्मल नहीं है। भारतीय जनता पार्टी का संघर्ष न्याय हित एवं किसान हित में निरन्तर जारी रहेगा। समिति निम्न बिन्दुओं पर शीघ्र कारवाई की अनुशंसा करती है ताकि पीडित परिवारों के अलावा प्रदेश के किसान बंधुओं को राहत मिले।
राज्यपाल व मुख्यमंत्री से इन बिंदुओं पर की गई अनुशंसा:
० राज्य शासन द्वारा पीडि़त परिवारों को 25 लाख रूपये की सहायता राशि तुरंत उपलब्ध कराने।
० पीडि़त परिजनों के एक सदस्य को शासकीय नौकरी देने।
० प्रदेश भर में मानक खाद बीज-कीटनाशक आदि आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। नकली बीज-खाद बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाए। इसे रोकने में विफल अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए समय सीमा के भीतर दंडित किया जाय।
० प्रदेश भर में मानक बीजों-कीटनाशकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने एक शासकीय टास्क फोर्स का गठन करने।
० प्रदेश के सभी किसानों के सभी तरह के कृषि ऋ ण हर हाल में माफ करते हुए उन्हें दीर्घकालीन और सभी बैंकों से लिए गए सभी कृषि ऋण को माफ किया जाए।
० धान की खरीदी एक नवंबर से हर हाल में शुरू किया जाए।
० प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू किए गए कृषि सुधार बिल को जल्द से जल्द प्रदेश में लागू किये जाए। खासकर फसल खरीदी के तीन दिन के भीतर उपज की कीमत हर हाल में किसानों तक पहुंचने की व्यवस्था लागू किया जाना आवश्यक है, कांग्रेस सरकार द्वारा साल-साल भर तक फसल का मूल्य नहीं देना चिंताजनक है।
० फसल के परिवहन और भंडारण आदि को केन्द्रीय कानून में अनुमति दी गयी है, पिछले वर्ष की तरह भंदरान आदि के नाम पर किसानों की प्रताडऩा इस बार से पूरी तरह बंद हो। केंद्र के कानून में इसकी व्यवस्था की गयी है।
० समर्थन मूल्य पर कम कीमत पर कोई भी फसल किसी भी हाल में कोई किसानों से खरीद नहीं पाए, ऐसी खरीदी अपराध हो, यह प्रदेश सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
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