रायपुर। तीन दिन पहले, छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अलग-अलग जिलों से बेरोजगार युवा पहुंचे थे। ये सभी प्रदर्शनकारी सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्तियां निकालकर नौकरी देने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों पर पुलिसवालों ने ताबड़तोड़ लाठियां बरसाए। दरअसल, युवाओं का एक दल पुलिस मुख्यालय तक पैदल मार्च करते पहुंचा, पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया। इस बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झूमाझटकी हो गई। वहीं भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस दौरान कई युवाओं को गंभीर चोटें भी आयी तो दर्जनों युवाओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। युवाओं पर लाठीचार्ज करने की वजह से शिवराज सरकार की पूरे देश विदेश में किरकिरी हुई। विपक्षी कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरा। कांग्रेस ने पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई की निंदा करते हुए सीएम शिवराज पर निशाना साधा और कहा है कि मामा कंस का अंत बेहद नजदीक है। यही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने भी युवाओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज की निंदा की। अब यही हाल छग में देखने को मिलेगा। यहां पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह समेत तमाम भाजपा के बड़े नेता इसकी निंदा करेंगे।
अब 72 घंटे बाद यही कहानी “कका” भूपेश बघेल के राज में महिला आंदोलनकारियों पर पुलिस ने बर्बरता पूर्वक लाठियां चलाई। रायपुर में 32 दिनों से अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन कर रही विधवा महिलाओं ने शनिवार को सीएम हाउस का घेराव करने की कोशिश की। प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बल का प्रयोग किया। महिलाओं का कहना है कि उन्हें खींचा और घसीटा गया। पुलिस के साथ धक्का-मुक्की में कोई जमीन पर गिर गया तो किसी के सिर पर चोट आई। किसी के पैर में सूजन हो गई। ये सभी महिलाएं प्रदेश के अलग-अलग जिलों से पिछले 32 दिनों से रायपुर आंदोलन कर रही हैं। ये सभी पंचायत स्तर के उन शिक्षकों की पत्नियां हैं जिनकी हादसे या बीमारी की वजह से मौत हो गई। इनका कहना है कि सरकारी नौकरी में कमाने वाले व्यक्ति की मौत के बाद परिवार के किसी एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति का नियम होता है, लेकिन हमें 2-3 साल से नियुक्ति नहीं मिली। महिलाएं शनिवार को रैली निकालकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की कोशिश कर रही थीं। सप्रे स्कूल के पास बैरिकेडिंग पर महिला पुलिसकर्मियों के साथ इनकी धक्का-मुक्की हो गई। करीब 1 से डेढ़ घंटे तक संघर्ष चलता रहा। इसके बाद आंदोलनकारी महिलाएं अपनी घायल साथियों के साथ वापस धरनास्थल पर लौट आईं।
इन पार्टियों को बस सत्ता सुख चाहिए : सत्ता में नैतिकता व पारदर्शिता का दंभ तो हर राजनैतिक दल भरता है, बड़े-बड़े महारथियों के नाम गिनाए जाते हैं, समाज सुधार की बातें की जाती है, नए भारत के निर्माण का सपना जनता दिखाया जाता है, गरीबों के उत्थान के वायदे किए जाते हैं, उद्योगों के कायाकल्प के लिए हर दिन नए-नए अनुबंद किए जाते हैं, रोजगार के लिए बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन हकीकत का आईना राजनैतिक दलों को कम ही रास आता है। यहां एक राजनैतिक दल की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन सभी राजनैतिक दलों को शामिल कर रहे हैं, जो राजनीति का लक्ष्य सत्ता हासिल करना समझते हैं। उसके लिए नए-नए पैतरे आजमाते हैं, नैतिकता को त्याग कर नए-नए गठबंधन बनाते हैं, उनका इस बात से कोई वास्ता नहीं होता है, वे सैद्धांतिक रूप से आपस में कितने सहमत है। इन दोनों ही घटनाओं को ही आप देख लें, मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने युवाओं पर लाठी चलवाए तो कांग्रेस ने इसका पूरजोर विरोध करते हुए इसकी कड़ी निंदा की। अब यहां छत्तीसगढ़ सरकार ने विधवा महिलाओं पर लाठी चलवाए तो भाजपा इसकी निंदा करेगी। आगे आपको बताने की जरुरत नहीं है। आप खुद समझदार हैं।