रायगढ़। हर किसान बीज निगम पर भरोसा करता है, लेकिन कुछ केंद्रों में किसानों से धोखा किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा एवं युवा खेल मंत्री उमेश पटेल के विधानसभा क्षेत्र खरसिया अंतर्गत चपले बीज प्रक्रिया केंद्र में ऐसा ही कुछ मामला सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि यहां मजदूरों को फर्जी मस्टररोल बनाकर नकद भुगतान किया गया है। वहीं किसानों को वितरित बीज में भी गड़बड़झाला है। बीज निगम के बीज प्रक्रिया केंद्र में किस कदर मनमानी चल रही है इसका उदाहरण मजदूरी भुगतान से ही लगाया जा सकता है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रबंधक रंजीता टोप्पो द्वारा मजदूरों के नाम पर फर्जी मस्टररोल बनाकर लाखों रुपए का गबन किया जा रहा है। ग्राम चपले के ही कई मजदूरों के नाम लिस्ट में हैं जो वहां काम ही नहीं करते हैं। लेकिन बाहरी मजदूरों के ना पर जनवरी 2021 से मई 2021 के बीच करीब साढ़े चार लाख रुपए निकाले गए हैं। जबकि बीज निगम में नकद भुगतान नहीं किया जाना है। इसी तरह किसान पंजीयन में भी मनमानी की जा रही है। रकबे के हिसाब से किसानों से पंजीयन शुल्क लिया जाना है, लेकिन चपले बीज प्रक्रिया केंद्र में ज्यादा राशि ली जा रही है। नियमत: पंजीयन शुल्क जो प्रति हेक्टेयर 750 रुपए होता है जो रकबा बढ़ने के कम होते जाती है। 4 हेक्टेयर भूमि की पंजीयन की राशि 1950 रु होती है लेकिन प्रबंधन इसके लिए किसानों से 800 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 3200 रुपए लिया जाता है। करीब 600 से 1000 हेक्टेयर प्रति वर्ष बीज निगम में उत्पादन कार्यक्रम लिया जाता है। केवल पंजीयन शुल्क में ही 3-4 लाख रुपए किसानों से अधिक लिया जाता है।
बीज संसाधन में भी मनमानी : क्रय किए जाने वाले बीज के संसाधन प्रक्रिया में भी मनमानी की जा रही है। बीज निगम के किसानों को एक गोदाम से दूसरे गोदाम में बीज को ले जाना पड़ता है। क्योंकि वहां ग्रेडिंग मशीन उपलब्ध है। अपने ही बीज का संसाधन कराने के लिए भाड़ा अलग से देना पड़ता है जो किसानों से लिया जाता है। इस राशि का भार बीज निगम को उठाना चाहिए, लेकिन यह किसानों पर थोपा जाता है।