Thursday, November 7, 2024
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छत्तीसगढ़ में चर्चा का विषय बना ब्रह्मकमल फूल, आखिर क्या है इस अलौकिक और दुर्लभ पौधे में

रायपुर/मुंगेली। ब्रह्मकमल एक अविस्मरणीय प्रजाति का फूल है. हिंदू मान्यताओं में ऐसा कहा जाता है कि भगवान आदिपुरुष ब्रह्मा और ज्ञान की देवी सरस्वती इस पर बैठती हैं। सफेद रंग का यह कमल काफ ी दुर्लभ है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि यह कुछ ही प्रदेशों के सुदूर पहाडिय़ों पर पाया जाता है. हालांकि अब कुछ जगहों पर इसकी व्यावसायिक खेती भी होने लगी है. मांग के कारण इसकी कीमत काफ ी ज्यादा रहती है और एक फू ल 500 से लेकर 1000 रुपए तक में मिलता है और किसान अच्छी कमाई करते हैं. यह फू ल इस समय मुंगेली जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां पर एक घर में यह फू ल दिखा है, जिस पर पूरे क्षेत्र में बात हो रही है. दरअसल, नगर के व्यवसायी शैलेन्द्र जायसवाल के बाड़ी में ब्रह्म कमल के 3 आकर्षक फू ल खिले, इस दुर्लभ ब्रह्मकमल फू ल को देखने शहर के लोगों की भीड़ लग रही. लोग इस नजारे को देखने के लिए आते रहे. शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि धारवाड़ हुगली से इस फू ल को उनके पुत्र शास्वत जायसवाल ने भेजा था जिसे उन्होंने अपने बाड़ी पर लगाया जहां 3 ब्रम्ह कमल फूल खिले हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इस फ ूलों के खिलने से बुरी आत्माओं का नाश होता है. यह फ ूल भगवान शिव को चढ़ाने से भक्त वरदान के भागी होते हैं

क्या है खास : इसे आमतौर पर रात में खिलने वाले सेरेस और रात की रानी के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसके सुंदर कमल जैसे फू ल देर रात खिलते हैं. भारत में इसे ब्रह्म कमल कहा जाता है और इसे एक बहुत ही पवित्र पौधे के रूप में माना जाता है. यह लोकप्रिय रूप से आर्किड कैक्टस के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि फूल में आर्किड की तरह सुंदरता होती है और पौधा कैक्टस जैसा दिखता है.

 

ब्रह्म कमल की होने लगी है खेती : हिमालय में पाया जाने वाला ब्रह्म कमल का पौधा अक्सर घरों में खिड़की की सिल पर उगने वाले पौधे के साथ मिलाया जाता है. यह उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है. हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मिर सहित कुछ प्रदेशों में ही यह फू ल पाए जातें है. उत्तराखंड के कई जिले में इस फू ल की खेती होने लगी है, जिससे किसानों की आय काफ ी बढ़ी है. इसके एक फूल की कीमत 500 से 1000 रुपए तक होती है.

 

इस नाम से भी जाना जाता है : इसे भगवान ब्रह्मा के फू ल के रूप में भी पहचाना जाता है. इसे देखने वाला बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है. ओडिशा में इसे लोग भगवान जगरनाथ को चढ़ाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जिस गुलाबी फू ल पर भगवान ब्रह्मा बैठे देखे जाते हैं, वह फ ूल ब्रह्म कमल ही है. ऐसा माना जाता है कि यह सौभाग्य और समृद्धि अपने साथ लेकर आता है और जिस घर में फू ल खिलते हैं, वह बहुत शुभ और भाग्यशाली होता है.

 

 

अलौकिक शक्तियों से होता है पूर्ण : ब्रह्म कमल एक औषधीय जड़ी-बूटी है. तिब्बती चिकित्सा पद्धति में इसे एक जड़ी-बूटी माना जाता है. यह ब्रह्म कमल एक प्रकार का कैक्टस है. इसमें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है. आपको इसे दो से तीन दिनों में एक बार पानी देना चाहिए. अधिक पानी देने से यह पौधा सूख भी सकता है या अगर पानी जमा हो जाए तो भी पौधा मर सकता है.

 

 

कई बीमारियों में है कारगर : एक अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्म कमल दिखने में भले ही आकर्षक हो, लेकिन इसकी गंध बहुत तेज और कड़वी होती है. अपने इसी गुण के कारण फू ल एक एक्सीलेंट लिवर टॉनिक है. यह लिवर पर फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है. ब्रह्म कमल के फू ल से तैयार सूप लिवर सूजन का इलाज करने और शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाने में मदद कर सकता है.