Thursday, September 19, 2024
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‘कोई पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त कर सकता है’, रेवडी कल्चर पर पीएम मोदी का ताना, तो केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर साधा निशाना, कहा-चंद दोस्तों का कर्ज..

नेशनल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को एक बार फिर  ‘रेवड़ी कल्चरÓ को लेकर हमलावर दिखे. उन्होंने किसी नाम लिए बगैर ही ‘मुफ्तÓ की राजनीति को लेकर तंज कसा और इसे पेट्रोल-डीजल तक से जोड़ दिया. पीएम मोदी पानीपत में इथेनॉल के एक प्लांट के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर राजनीति में ही स्वार्थ होगा, तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त देने की घोषणा कर सकता है. ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक छीनेंगे, देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहीं नहीं रुके, और उन्होंने आगे भी अपना हमला जारी रखा. उन्होंने कहा कि ऐसी स्वार्थ भरी नीतियों से देश के ईमानदार टैक्स पेयर का बोझ भी बढ़ता ही जाएगा. उन्होंने इशारों ही इशारों में इसे राजनीति में सफल होने का शॉर्ट-कट करार दिया और बोले, ‘शॉर्ट-कट अपनाने से शॉर्ट-सर्किट अवश्य होता है. शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय हमारी सरकार समस्याओं के स्थाई समाधान में जुटी है. पराली की दिक्कतों के बारे में भी बरसों से कितना कुछ कहा गया. लेकिन शॉर्ट-कट वाले इसका समाधान नहीं दे पाए.

 

 

 

 

दोस्तों का कर्ज माफ करने से होता है धोखा : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान पर आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बोला-अभी थोड़ी देर पहले मैंने सुना यह कहा गया है कि अगर जनता को फ्री सुविधा दी जाएगी तो इससे देश को नुकसान होगा. इससे देश को जो टैक्स देते हैं उनके साथ धोखा होगा.मुझे लगता है कि टैक्सपेयर के साथ धोखा तब होता है जब उनसे टैक्स लेकर और उसके पैसे से अपने चंद दोस्तों के बैंकों के कर्ज माफ किए जाते हैं. तो टैक्सपेयर देखते हैं सोचते हैं कि पैसा तो मुझसे लिया था. यह कह कर लिया था कि सुविधाएं बनाएंगे. पर मेरे पैसे से अपने दोस्तों के कर्ज माफ कर दिया.

 

 

 

 

 

 

 

 

जीएसटी लगाने को लेकर साधा निशाना : अरविंद केजरीवाल ने आटे, दूध और दही जैसी रोजमर्रा की जरुरतों पर जीएसटी लगाने को लेकर भी केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि पूरे देश के अंदर खाने के चीजों पर जीएसटी लगा दिया. दूध पर जीएसटी लगा दिया. दही पर जीएसटी लगा दिया. अपने दोस्तों के टैक्स माफ कर दिए. उन्हें टैक्स में रियायत दे दी तो एक आम आदमी सोचता है कि हमसे तो धोखा हो गया. अगर अपने दोस्तों के 10 लाख करोड़ों रुपए के कर्ज माफ नहीं किए जाते तो देश आज घाटे की स्थिति में नहीं होता. मांग है कि देश के अंदर रायशुमारी हो कि क्या सरकारी पैसा एक परिवार के लिए इस्तेमाल होना चाहिए. क्या सरकारी पैसा कुछ चंद दोस्तों के लिए इस्तेमाल होना चाहिए. या सरकारी सुविधाएं इस देश के लिए अच्छी सुविधाएं,अच्छी सड़क, अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य के लिए होनी चाहिए.