आजादी के बाद से ही राजनीति में सक्रिय रहे
सरायपाली राजपरिवारों से दो भाई महेंद्र बहादुर व वीरेंद्र बहादुर सिंह कांग्रेस के टिकट पर 1957 से कई चुनाव लड़े और जीते। महेंद्र बहादुर अविभाजित मध्य प्रदेश में मंत्री रहे और सात बार विधायक चुने गए। एक बार राज्य सभा सांसद और बाद में छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर भी बनाए गए थे। जब कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं बनाया तो वे निर्दलीय भी चुनाव लड़े और जीतकर सदन में पहुंचे।
जोगी कांग्रेस में भी जाने की उड़ी थीं चर्चाएं
साल 2016 में महेंद्र बहादुर सिंह के कांग्रेस छोड़ कर जोगी कांग्रेस में जाने की चर्चा भी खूब हुई थी। इसपर उन्होंने कहा था कि जोगी कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा ना उन्होंने की और ना ही अजीत जोगी ने। वे शुरू से आखिरी तक कांग्रेस के साथ रहे हैं और आगे भी रहेंगे। इनके ही परिवार से पुखराज सिंह व देवेंद्र बहादुर सिंह भी विधानसभा पहुंचे। हालांकि 2013 के चुनाव में देवेंद्र बहादुर सिंह बसना से हार गए।