रायपुर। अतिथि व्याख्याता समूह ने राज्य सरकार से 2011-12 से लागू अतिथि व्याख्याता व्यवस्था में बदलाव की मांग की है। सोमवार को रायपुर के बूढ़ा तालाब धरनास्थल में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर राज्य सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। पिछले लंबे समय से अतिथि व्याख्याता समूह नियमों में बदलाव करने की मांग उठा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल से भी मुलाकात कर अपनी मांगें रखी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से अब तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। उनकी मांगों को पूरी तरह से अनसुना कर दिया। जिस पर अब आंदोलन के लिए बाध्य हुए है। अतिथि व्याख्याता समूह के प्रदेश प्रभारी धीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि प्रदेश के 252 से ज्यादा कॉलेजों में करीब 2500 अतिथि व्याख्याता पिछले कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें कई तरह की सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। समूह की मांग है कि दैनिक सीलिंग को 800 से बढ़ाकर 1500 किया जाए। ऐसा नहीं किया जाता है एक निश्चित मासिक वेतन दिया जाए। 5 से 6 महीने की जगह 11 महीने की पूर्णकालिक जिम्मेदारी दी जाए। स्थानांतरण से सुरक्षित स्थिति प्रदान करते हुए निरंतर सेवा लाभ देने की मांग रखी है।
कार्यक्रम प्रभारी हेमसागर चौधरी ने बताया कि शासकीय कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक व प्रध्यापक के रिक्त पदों पर अतिथि व्याख्याताओं की सेवा ली जाती है। अतिथि व्याख्याताओं को दैनिक सीलिंग 800 रुपए प्रतिदिन की दर एवं शासकीय अवकाशों में छूट नहीं है। इसकी वजह से उन्हें प्रतिमाह औसतन 11-12 हजार रुपए ही प्राप्त होते है। इतने कम वेतन में जीवन यापन कर पाना संभव नहीं है। वहीं 6 महीने में काम पर रख 6 महीने बाद ही कार्यमुक्त कर बेरोजगार कर दिया जाता है। जिससे आर्थिक तंगी व मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।