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सीने में तिरंगा, हाथ में झंडा, जय हिंद बोल कर लाल आतंक से पांच इनामी माओवादी हो गए आजाद

रायपुर/सुकमा। 15 अगस्त 2020 यानी आज देश आजादी के 73 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। हर साल इस दिन हिंदुस्तानी पूरे उत्साह व उल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाते है। इस साल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर स्वतंत्रता दिवस मना रहे है। इससे नजारा कुछ अलग जरूर है, पर दिल में देश के लिए प्यार व जज्बा उतना ही है। हालांकि 15 अगस्त के दिन छत्तीसगढ़ के सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर व बस्तर के गांवां में राष्ट्रीय त्यौहारों पर लाल आतंक के खौफ से तिरंगे के बजाय नक्सलियों का काला झंडा फहराया जाता था। या फिर लाल सलाम के खौफ के चलते लोग न तो तिरंगा फहराते थे न ही इस दिन खुशियां मना पाते थे। नक्सल प्रभावित जिलों के गांवों में माओवादी काला झंडा फहराकर देश और प्रदेश सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराते थे और स्थानीय लोगों को डरा धमका कर अपने लाल आतंक का काला झंडा फहराने के लिए मजबूर कर देते थे। अपनी जान बचाने के लिए न चाहते भी लोगों को लाल सलाम के इन आदेशों का पालन करना पड़ता था, पर अब समय और स्थिति दोनों बदल गई है। सरकार, पुलिस व जवानों के प्रयासों से यहां अब तस्वीर काफी बदल गई है। यहां अब नक्सलियों का वर्चस्व कमजोर पड़ चुका है। माओवादी भी अब धीरे-धीरे समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे है। कभी 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन काला दिवस मनाने वाले पांच इनामी माओवादियों ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ 223वीं, जिला पुलिसबल और कोबरा 208 बटालियन के सामने बिना हथियार के सीने पर तिरंगा लगवाकर और हाथ में झंडा लेकर जय हिंद बोला और सरेंडर कर दिया। सरेंडर करते ही पांच नक्सली अब माओवादी संगठनों से आजाद हो गए।

इन नक्सलियों ने किया सरेंडर: जिन नक्सलियों ने शनिवार को सरेंडर किया। इसमें 8 लाख रुपए का इनामी एर्राबोर निवासी बोड्‌डू व्यंकटेश उर्फ राजीव, पांच लाख रुपए का इनामी जगरगुंडा निवासी उंडाम सन्ना, किस्टाराम निवासी एक लाख रुपए की इनामी मड़कम सोनी, तोंगपाल निवासी सन्ना मरकाम और चिंतागुफा निवासी पोडियम देवा शामिल हैं। इन पर गंभीर वारदातों में शामिल होने का आरोप है।

इन वारदातों में शामिल रहे

बोड्‌डू व्यंकटेश : 2006 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ। उसी साल में एर्राबोर के असिरगुडा में आईईडी ब्लास्ट किया। चपेट में आकर 10 एसपीओ और एक ड्राइवर की मौत हो गई। साथ ही एर्राबोर राहत शिविर पर भी हमला किया। 2009 में कोंटा क्षेत्र के मुरलीगुड़ा-बंडा के बीच पुलिस पर फायरिंग की। इसमें 2 जवान शहीद हो गए और 9 हथियार लूट ले गए।
2008 में तिमेलवाड़ा रोड पर पुलिस पर फायरिंग
2006 में गोरगुंडा के पास पुलिस पर फायरिंग
2010 में चिंतलनार-जगरगुंडा माग पर पुलिस पर फायरिंग
2010 में ताड़तेटला के मुकरम में हमला 76 जवान शहीद
2011 में जामगांव घाटी मे पुलिस पर फायरिंग
2016 में कालाहांडी के पास पुलिस पर फायरिंग
2016 में पाड़दारा में एसओजी जवान पर हमला कर हत्या
2019 में पाड़दारा में चुनाव के दौरान पुलिस पर एंबुश लगाकर हमला
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान नेशनल हाईवे 130 पर पुलिस पर हमला

उंडाम सन्ना : 2010 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ था। इसके बाद से जन अदालत लगाकर कई लोगों की हत्या की। आईईडी ब्लास्ट में भी शामिल रहा।
2011-12 में सिलगेर में जनअदालत लगाकर हत्या
2014-15 में चिंतलनार निवासी ठेकेदार की हत्या
2017 में लखपाल निवासी मड़काम कोसी की जनअदालत लगाकर हत्या
2017 में रायगुड़ा के पास पुलिस पर हमला
2016-17 में पामेड़ में सुरक्षाबलों पर फायरिंग
2018 में कमारगुड़ा निवासी तीन लोगों की जनअदालत लगाकर हत्या
2019 में लोकसभा चुनाव के समय कोंडासांवली-अरनपुर के बीच आईईडी ब्लास्ट

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