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लजवाब रायगढ़: हमारे भैया जी मंत्री हैं, रेरा के नियम कानून सब अपनी जेब में!

रायगढ़। बिना किसी पंजीयन के भूमाफिया खरसिया में धड़ल्ले से प्लॉट काटते जा रहे हैं। पंजीकृत प्रोजेक्ट के आंकड़े देखने पर पता चला कि जिले में कुल 68 रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट हैं। लेकिन खरसिया की बात करें तो यहां केवल दो ही कॉलोनियां पंजीकृत हैं। इसमें भी एक हाउसिंग बोर्ड की है। मतलब खरसिया में केवल एक ही रेरा पंजीकृत कॉलोनी है। रेरा के नियमों का खुलकर उल्लंघन करने वाले भूमाफियाओं को किसी का डर नहीं है। उन्हें मालूम है कि अगर कहीं काम अटका तो रास्ता भी आसानी से निकल जाएगा और बिना पंजीयन के ही प्लॉट बेचने का काम जारी रहेगा। रेरा कानून लागू होने के बाद कहीं भी आठ फ्लैट से ज्यादा और 500 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन पर आवासीय परियोजना के लिए रेरा में पंजीयन अनिवार्य है। इस कानून का पालन रायगढ़ ब्लॉक में हो रहा है। लेकिन खरसिया में इसे किनारे कर दिया गया है। यहां अधिकारियों और भूमाफियाओं का अपना कानून चलता है। रेरा के कोई मायने यहां नहीं हैं। तभी तो नियम लागू होने के बाद चार सालों में दो ही परियोजनाओं का पंजीयन हुआ है। इसमें एक तो हाउसिंग बोर्ड का अटल आवास योजना गिधा है। निजी कॉलोनी के रूप में केवल तिरुपति बिल्डर्स की कॉलोनी का ही पंजीयन हुआ है। इसके अलावा करीब दर्जन भर जगहों पर अवैध प्लॉटिंग की गई है। इन पर कभी कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए रेरा कानून लागू किया गया है लेकिन खरसिया में इसे अनदेखा कर दिया जाता है।

नपा में चुप्पी, नगर व ग्राम निवेश भी मौन- रायगढ़ जिले में 68 आवासीय प्रोजेक्ट का पंजीयन रेरा में हुआ है जिसमें से 64 रायगढ़ ब्लॉक, दो खरसिया, एक घरघोड़ा और एक धरमजयगढ़ में हैं। करीब आठ प्रोजेक्ट हाउसिंग बोर्ड के हैं। खरसिया में कृषि भूमि पर बिना अनुमति के प्लॉट काटे जा रहे हैं। इसे लेकर नगर पालिका में चुप्पी छाई हुई है और राजस्व विभाग को भी कोई सरोकार नहीं है। नगर तथा ग्राम निवेश से तो नक्शा कोई एप्रूव ही नहीं कराता।

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