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राजधानी रायपुर में छग राज्य का पहला साइबर थाना बनकर तैयार, जल्द काम-काज होगा शुरू

रायपुर। राजधानी रायपुर में साइबर थाना बनकर तैयार हो गया है। यह राज्य का पहला साइबर क्राइम थाना है। यहां एक डीएसपी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर समेत अन्य अन्य स्टॉफ है। इस थाने में और भी पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी। उन्हें यहां पोस्टिंग दी जाएगी जो तकनीकी क्षेत्र की ज्ञान रखते हैं। अफसरों के मुताबिक इन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी ताकि साइबर थाने को ज्यादा से ज्यादा सशक्त बनाया जा सकें। जल्द ही स्टेट साइबर थाने का उद़घाटन कराया जाएगा। इसके बाद यहां कामकाज शुरू होगा। आपको बता दें कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जॉइंट साइबर इन्वेस्टिगेशन प्लेटफॉर्म तैयार किया है। जिसमें बैंक, ऑनलाइन शॉपिंग साइट, इंटरनेट प्रोवाइडर, टेलीकाम कंपनियां और सभी जांच एजेंसियां जुड़ी हुई है। इसी के तहत छग में एक साइबर थाना के साथ-साथ पीएचक्यू में एक रीजनल साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर तैयार किया गया है। इसमें गंभीर किस्म के साइबर अपराध की जांच की जाएगी। इसलिए अब साइबर अपराध की शिकायत पर अब तेजी से जांच हो सकेगी और पुलिस अपराधियों तक पहुंच सकेगी। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसमें यानी किसी के भी खाते से रुपए निकलेंगे तो बैंक और इंटरनेट प्रोवाइडर पुलिस को तत्काल जानकारी उपलब्ध कराएंगे। इस तरह अपराधियों को पकड़ने में आसानी होगी। फिलहाल शिकायत मिलने पर पुलिस एक-एक कर सभी एजेंसियों से संपर्क करती है। इसके बाद जानकारी मिलने में समय लगता है। इसलिए अपराधी बच निकलते थे या फिर देर से पकड़ाते थे।

हर रोज पांच से दस लोग हो रहे शिकार: साइबर अपराध के हर रोज औसतन पांच से दस लोग शिकार हो रहे हैं। ऑनलाइन फ्राड करने वाले अपराधी अपनी बातों से झांसा में लेकर लोगों की गाढ़ी कमाई खाते से उड़ा रहे हैं। हाल ही छग के 6 से अधिक जिलों में रिटायर्ड पुलिसकर्मियों को पेंशन दिलाने के नाम पर 40 लाख से अधिक की ठगी हुई थी। बिहार व झारखंड के गैंग ने इस वारदात को अंजाम दिया था। इसमें पांच आरोपियों को छग की पुलिस ने पकड़ा है। इसके लिए दंतेवाड़ा, नांदगांव और महासमुंद की ज्वाइंट टीम बनाई गई थी। जो लगभग एक से डेढ़ महीने की लंबी जांच के बाद आरोपियों तक पहुंची थी, पर साइबर थाना के खुलने से जानकारी जुटाने में आसानी होगी।

पब्लिक को मिलेगा फायदा

– साइबर क्राइम के मामले में मुकदमे के लिए चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

– साइबर थाना पर एफआईआर दर्ज करके मामलों की छानबीन शुरू हो जाएगी।

– शिकायतकर्ता का समय बचेगा, उसे बेवजह लोकल थाना से अफसरों तक चक्कर नहीं लगाना होगा।

– तत्काल शिकायत मिलने पर होने वाली जांच में पीडि़त के रुपए वापस लौटने में मदद मिलेगी।

– एक छत के नीचे एक्सप‌र्ट्स के मौजूद होने से जांच में क्रिमिनल्स के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होगी।

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