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रायगढ़। टिमरलगा और गुड़ेली की प्रतिबंधित खदानों में पावर प्लांटों से निकलने वाले फ्लाई एश को भरने का निर्देश दिया गया था। उसके बाद से कंपनियां राखड़ को वहां भेज रही थीं। लेकिन अब इसमें कुछ विवाद हो गया है। सरपंच का कहना है कि कंपनियां गुड़ेली के नाम से राखड़ भेजते हैं लेकिन कहीं और डंप किया जा रहा है। सारंगढ़ ब्लॉक के टिमरलगा और गुड़ेली पंचायत में गिट्टी की बहुत से अवैध खदानें हैं। एनएच के किनारे दोनों ओर बहुत गहरी खदानें बन चुकी हैं। सीमा से अधिक गहराई तक इनमें खनन हो चुका है। पर्यावरण विभाग ने इनमें राखड़ डालकर लैंड फिलिंग का प्लान बनाया था। पावर प्लांटों को निर्देशित किया गया कि वे खुद ही परिवहन कर राखड़ यहां तक भेजें। उसके बाद से खदानों का भराव चल रहा है। डीबी पावर, एसकेएस, एनटीपीसी लारा, रायगढ़ एनर्जी बड़े भंडार, जेएसडब्ल्यू मोनेट और जेएसपीएल यहां फ्लाईएश भेज रहे थे। लेकिन गुड़ेली सरपंच इसके विरोध में आ गए हैं। उनका आरोप है कि प्लांटों से गुड़ेली के लिए फ्लाई एश की गाडिय़ां निकलती हैं लेकिन कहीं और पहुंचती हैं। सरपंच पद्मा भारती ने इस वजह से सभी कंपनियों को पत्र लिखकर फ्लाईएश भेजने पर रोक लगाने को कहा है। मिली जानकारी के मुताबिक गुड़ेली के गोरखनाथ, तिहारु आदि की भूमि पर खदानों को भरने के लिए राखड़ भेजा जा रहा था। इसका परिवहन का काम अमन ट्रांसपोर्ट संचालक दीपक अग्रवाल को दिया गया है। लेकिन गाडिय़ां प्लांट से राखड़ लेकर निकलती जरूर हैं, लेकिन कहीं और ही खाली होती हैं। कहा जा रहा है कि इसके पीछे कोई दूसरी ही कहानी है जिसमें ट्रांसपोर्टर, सरपंच व कुछ और लोग जुड़े हुए हैं।
हर टन पर रुपयों का खेल: राखड़ से लैंड फिलिंग में भी कुछ लोग गुंजाइश बना रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी से गुड़ेली में फ्लाईएश भेजने के लिए ठेका दिया गया है। लेकिन इसे खरसिया के ही किसी क्षेत्र में डंप कर दिया जा रहा है। इस तरह गुड़ेली आए बिना ही यहां का परिवहन भाड़ा मिल जा रहा है। वहीं किसी की निजी भूमि का समतलीकरण करने के लिए भी पांच-दस रुपए प्रति टन का लेन-देन होता है।
वर्सन
हमारी पंचायत में कुछ जगहों पर फ्लाईएश से समतलीकरण किया जा रहा है। लेकिन कंपनियां कहीं और ही राखड़ भेज रही हैं।
– पद्मा भारती, सरपंच गुड़ेली
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