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फर्जी पत्रकारों का बोलबाला, जेल से छूटने व जमानत लेने के बाद बन रहे संपादक व ब्यूरो चीफ! सारंगढ़ के दो बड़े अधिकारियों के नाम पर लोगों काे कर रहे ब्लैकमेल

जगदीश पटेल, रायपुर। देश व प्रदेश में पत्रकारिता का स्तर दिन ब दिन नीचे गिरता दिख रहा है। बीते कुछ सालों में इलेक्ट्रानिक मीडिया हो या फिर प्रिंट मीडिया, दोनों का स्तर काफी खराब हो गया है। मोटर साइकिल और कारों पर प्रेस लिखकर सड़कों पर चलने वाले बहुत से फर्जी पत्रकारों की वजह से मीडिया का स्तर गिर रहा है। ना तो उनके पास परिचय पत्र है ना ही वह किसी प्रेस के पत्रकार हैं। कई शहरों में फर्जी पत्रकारों का बोलबाला होता दिख रहा है। खासकर रायगढ़ जिले के सारंगढ़ व बरमकेला ब्लॉक में स्थिति ज्यादा चिंतनीय है। यहां हर दूसरा व्यक्ति लल्लनटॉप पत्रकार बन कर घूम रहा है। ऐसे फर्जी पत्रकारों का एक ही काम होता है, लोगों से ठगी करने का, इनका काम केवल आम लोगों व प्रशासन में अपनी हनक बनाने का है, और समाचार पत्रों के सीनियर पत्रकारों कि तरह व्यवहार बनाकर सरकारी कर्मचारियों, प्राइवेट प्रतिष्ठानों के मालिकों व सीधी साधी आम जनता में प्रेस का रौब दिखाकर सिर्फ उनसे ठगी व उगाही कर मीडिया की छवि खराब और बदनाम करना होता है।

जेल से छूटने व जमानत मिलने के बाद कर रहे पत्रकारिता: पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ अपराधिक छवि वाले व्यक्तियों ने मीडिया को अपना कवच बना रखा है और अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। इस तरह के लोग सरकारी विभागों, ठेकेदारों सहित क्षेत्र में जुआ व सट्टा खिलवाने जैसे कार्यों में अक्सर लिप्त रहे हैं। बरमकेला व सारंगढ़ में स्थिति इतनी खराब होे चली है कि जेल से छूटने व जमानत लेने के बाद पत्रकार बनकर घूम रहे हैं और क्षेत्र के सरंपचों, रोेजगार सहायकों व निजी स्कूल संचालक, ठेकेदारों को डरा धमका कर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं।

सालों से पत्रकारिता का धर्म निभा रहे कई लोग: सारंगढ़ व बरमकेला क्षेत्र में सालों से पत्रकारिता करने वाले कई सीनियर लोग भी हैं। जो अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी पत्रकारिता करने में गुजार दी। ईमानदारी से पत्रकारिता करते हुए उन्होंने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया, आगे आकर शासन प्रशासन तक लोगों की समस्याओं को रखा और उन्हें उनका हक व न्याय दिलवाने का काम किया। स्थानीय समस्याओं व मुद्दों को लेकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से किया और कर रहे हैं, पर अब कुछ अपराधिक किस्म के लोग पत्रकार बनकर घूम रहे हैं। इससे सही में पत्रकारिता करने वाले लोगों की छवि खराब हो रही है।

खुद बन जाते हैं संपादक व ब्यूरो चीफ: बाजार से डेढ़ सौ रुपए का एक माइक और 30 रुपए खर्च कर आई कार्ड बनाकर जेब में रख लिए और बन गए पत्रकार। बाइक व कार में प्रेस लिखकर क्षेत्र में घूमो और खुद को संपादक व ब्यूरो चीफ बताओ। जबकि हकीकत में इन्हें यह मालूम नहीं होता कि संपादक का क्या कर्तव्य होता है, क्या होती है संपादक की जिम्मेदारियां। सालों नौकरी करने के बाद कुछेक लोगों को ही नसीब होती है संपादक की कुर्सियां व ब्यूरो चीफ, लेकिन सारंगढ़ व बरमकेला में हर दूसरा व्यक्ति संपादक व ब्यूरो चीफ बनकर घूम रहा है। ऐसे लोगों के खिलाफ न तो प्रेस क्लब व पत्रकारिता संगठन के लोेग कार्यवाही कर रहे है न ही शासन प्रशासन ऐसे लोगों की सूध ले रही है। इससे इनका हौंसला बढ़ा हुआ है।

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