रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के लिए एक राहत भरी खबर है। दरअसल, पुलिस मुखबिरी के आरोप में अगवा किए 7 युवकों सहित बंधक बनाए गए 34 ग्रामीणों को नक्सलियों ने मंगलवार को रिहा कर दिया है। सभी ग्रामीण देर रात सकुशल अपने गांव पहुंच गए। बताया जा रहा है कि तोलावर्ती में जन अदालत लगाकर ग्रामीणों की रिहाई की गई है। सर्व आदिवासी समाज ने नक्सलियों से अगवा किए गए युवकों को छोड़ने की अपील की थी। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा था कि सभी ग्रामीणों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए रिहा किया जाए। माना जा रहा है कि ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए नक्सलियों की ओर से ऐसा किया गया है। दूसरी ओर पुलिस का कहना था कि मामले की जांच की जा रही है। ग्रामीण अब नक्सलियों का सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए अब वे इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। बता दें कि जगरगुंडा क्षेत्र के कुदेड़ गांव में 18 जुलाई की रात हथियारबंद नक्सली स्थानीय 7 युवकों को अगवा कर ले गए थे। अगले दिन इन युवकों की रिहाई के लिए 14 ग्रामीण जंगल की ओर रवाना हुए, लेकिन वह भी नहीं लौटे। इसके बाद मंगलवार को दो ग्रामीणों को नक्सलियों ने वापस भेजा। उनके पास नक्सलियों की दी गई 13 नामों की लिस्ट थी। उन सबको भी बुलाया गया। इसके बाद से सभी 34 ग्रामीणों का कुछ पता नहीं था। मंगलवार को मामले की सूचना पुलिस को मिली, तो गांव में फोर्स भेजी गई। जहां देर शाम इस बात की पुष्टि हुई कि ग्रामीण लापता है। इनमें 7 युवकों को अगवा कर नक्सली ले गए हैं। बताया जा रहा है कि जिन युवकों को अगवा किया है, उनमें उईका सन्नु, उईका प्रकाश, उईका रामलाल, कारम हिरा, उईका मुकेश, तेलम प्रभात और उईका मुड़ा शामिल थे। नक्सलियों ने सभी ग्रामीणों को देर रात छोड़ दिया है। नक्सलियों ने इन सभी युवकों को पुलिस मुखबिरी को लेकर अंतिम मौका देने की बात कही है।