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छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण में कोयले का धड़ल्ले से हो रहा खनन, खनिज विभाग के अफसरों की आरामतलबी ने रायगढ़ में कोल माफिया को पनपने का भरपूर मौका दिया

रायगढ़। खनिज विभाग का मूल काम खनिजों के अवैध खनन व परिवहन पर लगाम लगाना है। लेकिन विभाग के अफसरों की आरामतलबी ने जिले में कोल माफिया को पनपने का भरपूर मौका दिया है। घरघोड़ा, तमनार और धरमजयगढ़ में पुरानी जगहों पर फिर से कोयले का अवैध खनन हो रहा है। कोयले को लेकर कभी भी खनिज विभाग ने सही कार्रवाई नहीं की है। पिछले एक साल में सिर्फ गौण खनिजों परिवहन कर रही गाडिय़ों पर ही कार्रवाई की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक घरघोड़ा ब्लॉक में लैलूंगा रोड में कोनपारा में फिर से अवैध खनन प्रारंभ हो गया है। यहां एक राजनेता के संरक्षण में कोयले का धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। इसकी जानकारी खनिज विभाग को मिली भी है लेकिन फील्ड पर कोई भी जांच नहीं की गई। इधर धरमजयगढ़ में दुलयामुंडा में भी पोकलेन लगाकर कोयला निकाला जा रहा है। इसे रायगढ़ के कई प्लांटों में खपाया जा रहा है। यह कोयला भी राजनीतिक संरक्षण में चल रहा है। तमनार और घरघोड़ा में कोयला अवैध खनन करने के प्वाइंट फिर से शुरू हो गए हैं। कुछ समय तक खामोश रहने के बाद कोल माफिया ने व्यवस्था जमा ली है। अब न तो उनकी गाडिय़ों की चेकिंग होती है और न ही कोई दूसरी कार्रवाई। अवैध कोयला लेकर गाडिय़ां आराम से प्लांटों में पहुंचती हैं।

अवैध कोयले पर कार्रवाई में रुचि नहीं: खनिज विभाग ने एक साल से अवैध कोयले को लेकर खामोशी ओढ़ ली है। कुछ समय तक हिंडाल्को और अंबुजा की गाड़ियों को बेवजह रोककर पूंजीपथरा थाने के सुपुर्द किया गया था। लेकिन हाईकोर्ट में याचिका लगते ही आनन-फानन गाड़ियां छोड़नी पड़ीं। वहीं कोल माफिया जिन जगहों पर खनन कर रहे हैं, उसे रोकने कोई कार्रवाई नहीं होती। फील्ड पर कोयले की गाड़ियों की जांच करने में खनिज विभाग को रुचि नहीं है।

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