जांजगीर। धान खरीदी केंद्र शिफ्ट करने के सरकारी फैसले पर सहमति जताना गांव के पूर्व सरपंच को भारी पड़ गया। ग्रामीणों ने उनके परिवार का हुक्कापानी बंद कर सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। इसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर से लेकर राष्ट्रपति तक की है। पूर्व सरपंच अभी सहकारी समिति के संचालक मंडल के सदस्य हैं। पूरा मामला जिले के डभरा तहसील के फ रसवानी गांव का है।
दरअसल, धान खरीदी केंद्र पहले फ रसवानी गांव में था। इसके अंतर्गत तीन गांव गोबरा, चुरतेला और फ रसवानी आते हैं। जगह की समस्या के चलते प्रशासन की ओर से खरीदी केंद्र को गोबरा शिफ्ट किए जाने का निर्णय लिया गया। तीनों गांवों की सार्वजनिक बैठक भी बुलाई गई। सभी ग्रामीणों ने सहमति जताई, लेकिन फ रसवानी गांव इसके विरोध में था, लेकिन प्रशासन के इस फैसले का समर्थन गांव के पूर्व सरपंच बाबू लाल ने कर दिया। पूर्व सरपंच के इस समर्थन पर ग्रामीण भड़क गए। दो दिन पहले ग्रामीणों ने रास्ता बंद कर प्रदर्शन किया। इसके बाद सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी अश्विनी पांडेय ने लोगों को आश्वासन देकर शांत कराया। इसके बावजूद ग्रामीणों का गुस्सा सहकारी समिति संचालक मंडल के सदस्य और पूर्व सरपंच बाबू लाल पर निकला। आरोप है कि पंचायत बुलाकर बाबू लाल के परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर हुक्कापानी बंद करने का निर्णय हो गया। पूर्व सरपंच बाबू लाल चंद्रा ने बताया कि उन्होंने 5 दिसंबर को स्थानीय स्तर पर एसपी व कलेक्टर के अलावा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को अपनी पीड़ा पत्र के माध्यम से बताई है। बताया कि 3 दिसंबर को तहसीलदार, ग्रामीणों और खरीदी से संबंधित लोगों की मौजूदगी में धान खरीदी केंद्र शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया था। इसकी विडियोग्राफ ी भी कराई गई। अब पूरा गांव और समाज इस निर्णय के लिए उन्हें दोषी बता रहा है। अगले दिन ही उनके परिवार का हुक्कापानी बंदकर पुतला दहन किया गया।