रायगढ़। टिमरलगा और गुड़ेली में गौण खनिज मद की राशि का गबन अब आदत में शामिल हो चुका है। जिला पंचायत राशि जारी करती है और सारंगढ़ में इसे नोचने के लिए गिद्ध बैठे रहते हैं। अब टिमरलगा में स्वीकृत राशि का 33 प्रश आहरण कर गबन करने का मामला सामने आया है। तत्कालीन सरपंच व सचिव समेत सब इंजीनियर तक इसकी आंच पहुंच रही है। खनन प्रभावित ग्राम पंचायतों के विकास के लिए सरकार गौण खनिज मद से हर साल करोड़ों रुपए आवंटित करती है। लेकिन इस राशि का लाभ वहां के निवासियों को नहीं मिलता बल्कि इससे सरपंच, सचिव, सब इंजीनियर समेत कई लोग मालामाल होते हैं। बिना काम कराए राशि आहरित कर गबन करने का नया मामला टिमरलगा पंचायत में आया है। कांग्रेस नेता घनश्याम मनहर ने पूर्व में टिमरलगा पंचायत में बिना कार्य कराए रकम आहरण व गबन की शिकायत की थी। इस पर जिला पंचायत सीईओ ने सारंगढ़ एसडीएम को जांच के आदेश दिए थे। सारंगढ़ एसडीएम चंद्रकांत वर्मा ने नायब तहसीलदार रॉकी एक्का से जांच करवाकर रिपोर्ट सबमिट की है। सीसी रोड, पुलिया, स्मार्ट क्लास, बोर खनन आदि कार्यों के लिए करीब 1.85 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। सरपंच व सचिव ने 33 प्रश राशि करीब 61 लाख रुपए का आहरण कर लिया। इस राशि से सारे काम प्रारंभ कराए जाने थे, लेकिन महीनों बाद भी एक-दो कामों को छोड़कर बाकी सब अप्रारंभ हैं। ग्राम पंचायत का बैंक पासबुक देखने पर पता चला कि गौण खनिज एकाउंट में केवल 5830 रुपए ही शेष हैं। बाकी पूरी रकम आहरित कर हड़प ली गई। सामग्री क्रय व्हाउचर, बिल, मस्टररोल, कैशबुक आदि अपूर्ण व अस्पष्ट है। एसडीएम ने जिपं सीईओ को भेजी जांच रिपोर्ट में सरपंच व सचिव को दोषी मानते हुए दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है।
लात नाला में रिटेनिंग वॉल के लिए सवा करोड़- टिमरलगा में 17 कामों के लिए करीब 1.85 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इसमें सबसे बड़ा काम लात नाला किनारे मिट्टी कटाव रोकने के लिए रिटेनिंग वॉल समेत छह काम स्वीकृत थे। इसके लिए 1.19 करोड़ रुपए आवंटित थे, जिसमें से 39 लाख रुपए आहरित किए जा चुके हैं। लेकिन यह काम अब तक शुरू ही नहीं हो सका है। इसी तरह बैराज में पुलिया निर्माण के लिए भी दस लाख रुपए स्वीकृत थे। यह काम भी प्रारंभ नहीं हुआ और 3.39 लाख रुपए गबन कर लिए गए।
न कोई जेल गया न वसूली हुई- गौण खनिज मद में गबन का मामला हर साल सामने आता है, लेकिन अब तक न कोई जेल गया और न ही वसूली हुई। जिस फंड का लाभ खनन का नुकसान उठाने वाले ग्रामीणों को मिलना चाहिए, वह चंद लोगों की जेब में जाता है। इस बार भी बिना किसी डर के 61 लाख रुपए गबन कर लिए गए। यह राशि अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी में बंटती है।