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एसईसीएल कर्मी ने अपने तीन मासूम बच्चों को उफनती नदी में फेंका, फिर खुद लगा ली एक पेड़ में फांसी

रायगढ़- रविवार तड़के छाल से दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। एसईसीएल कर्मी कार्तिकेश्वर राठिया नामक व्यक्ति ने अपने तीन मासूम बच्चों को उफनती नदी में फेंक दिया। इसी दौरान बदहवास उसकी मां जब दौड़ते हुए पहुंची तो वह भी पानी मे कूद गया। साथ मे एक और बच्चा था जो अपनी अपनी दादी को देखकर दौड़ते हुए उसके पास आ गया। उसकी जान तो बच गई लेकिन तीन मासूमों को पिता ने ही पानी की तेज बहाव में फेंक कर जान ले ली। हालांकि उसकी लाश पुलिस को कुछ घंटे बाद उसकी लाश नदी किनारे एक पेड़ पर फांसी से लटका हुआ मिला। माना जा रहा है कि अपनी मां को देख पानी में कूदने के बाद वह नदी सेे बाहर आया गया होगा और फिर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी होगी। बताया जा रहा है कि एसईसीएल कर्मी कार्तिकेश्वर के सिर में चोट लगी थी, इसकी वजह से वह तनाव में रहता था और अजीबो गरीब हरकत भी करता था। इसे लेकर घर वाले भी दहशत में रहते रहते थे। रविवार को सुबह कार्तिकेश्वर पानी प्लेटिना बाइक में चारों बच्चों को एडु पुल के पास लेकर आया और एक एक कर तीनों को पानी मे फेंक दिया। बताया गया कि जिन बच्चों को पानी की तेज बहाव में फेंका गया उनमें एक की उम्र 8 वर्ष था, दूसरे की 6 और 2 साल है। मांड नदी पुल से तीन बच्चाें को फेंकने के बाद युवक की कूदने की जानकारी पर सुबह 7 बजे ही छाल, खरसिया पुलिस फाेर्स के साथ पहुंची। करीब एक घंटे बाद रायगढ़ से गाेताखाेर भी बुलाए गए। पुलिस ने नदी में पानी का तेज बहाव हाेने के बाद भी काफी मशक्कत की, लेकिन शाम सात बजे तक बच्चों को नहीं ढूंढ पाई। थाना प्रभारी खरसिया व गोताखोरों की टीम के महेंद्र गुप्ता ने बताया कि नदी से लेकर पास के डेम तक काफी गहराई है, इसके बाद भी काफी प्रयास किया गया है, तीनों बच्चों का पता नहीं चल सका।

भाई ने बताया दिमागी हालत सही नहीं थी
मृृतक के भाई लालकेश्वर राठिया ने पुलिस काे बताया कि एक दशक पहले उसकी जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण की थी। जिसके एवज में उसे व उसके भाई काे कंपनी में नाैकरी मिली थी। इसके बाद लात गांव से कार्तिकेश्वर अपनी ससुराल बर्रा में रहने लगा। 2011 में खदान में काम करते समय उसके सिर पर गंभीर चाेट आई थी। जिसके बाद से उसकी दिमागी हालत सही नहीं चल रही थी।

सिरफिरे बाप की करतूत को लेकर आक्रोश
बताया गया कि वह अजीब हरकतें करता था। सिरफिरे बाप की इस करतूत को लेकर गांव में आक्रोश है, हालांकि वह भी नदीं में कूदकर जान दे दिया है, ऐसे में अब पुलिस भी कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति में है।

नदी में कूदने से बची जान ताे फांसी लगाई
मासूम बच्चाें काे नदीं में फेंकने के बाद कार्तिकेश्वर ने खुद भी छलांग लगा दी लेकिन नदी में कूदने से उसकी जान बची ताे उसने कुछ दूर नदी किनारे जहां बहाव कम था वहां पर खड़े एक पेड़ से फांसी लगा ली। पुलिस का मानना है कि उसने कूदने के बाद बच्चाें काे बचाने की काेशिश की हाेगी, जब बच्चाें का कुछ पता नहीं चला ताे उसने भी आत्महत्या कर ली।

बूंढ़ी मां के सामने उजड़़ गया पूरा परिवार
पति-पत्नी के बीच हुए मामूली विवाद के बाद एक झटके में पूरा परिवार उड़ गया। पुलिस काे जानकारी देते हुए वृद्ध करमू बाई ने बताया कि वह जानती ताे पहले ही एड़ू से अपने जिगर के टुकड़ाें काे साथ लेकर न चलती, उसे नहीं पता था कि उसका बेटा रास्ते में इतनी बड़ी घटना काे अंजाम दे देगा। करमू ने बताया वह एड़ू में सुंदर साय के घर आई थीं। यहीं से सुबह 6 बजे के करीब कार्तिकेश्वर लात गांव जाने की बात कह उसे व चाराें बच्चाें काे लेकर चला था। मांड नदी पुल पर जलभराव था, उसने माेटर साइकिल राेकी और उसे उतारा और पोतों को नदी में फेंक दिया। वह उसे रोक नहीं पाई।

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