रायपुर। पिछले तीन दिनों से छत्तीसगढ़ में चल रही कार्रवाई को लेकर ईडी ने शुक्रवार देर रात एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अब तक की कार्रवाई से न सिर्फ विस्तृत रिपोर्ट जारी कर दी है, बल्कि कार्रवाई को लेकर भी कई खुलासे किए है। ईडी द्वारा जारी बयान के अनुसार, प्रदेश के खनिज विभाग ने खनिज परिवहन के आनलाइन सिस्टम को खत्म कर दिया। आफ लाइन सिस्टम से सिर्फ 16 महीनों में ही कोयला परिवहन से 500 करोड़ रुपये की अवैध वसूली हुई। आनलाइन सिस्टम में बदलाव का आदेश तत्कालीन खनिज संचालक रहे समीर बिश्नोई ने जारी किया था। खनिज विभाग ने 15 जुलाई 2020 को एक अधिसूचना जारी करके आनलाइन व्यवस्था को समाप्त कर दिया। इसके बाद 10 अगस्त 2020 को जारी एक और अधिसूचना से खनिज परिवहन अनुमति के लिए केवल मैन्युअल पद्धति को अनिवार्य कर दिया गया। ईडी ने कहा कि इससे पारदर्शी आनलाइन प्रक्रिया खत्म हो गई और अवैध वसूली का एक बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया। राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले से 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जा रही है। वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों को शामिल करते हुए एक समूह तैयार किया गया है। ईडी के अनुसार, इस घोटाले के मुख्य सरगना सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों ने कोयले पर अवैध लेवी की जबरन वसूली की एक समानांतर प्रणाली तैयार की थी। अवैध तरीके से मिले पैसे का इस्तेमाल बेनामी संपत्ति और ज्वैलरी खरीदने में की गई। ईडी ने इस अवैध उगाही और सबूतों को नष्ट करने की साजिश के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की। 11 अक्टूबर को ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर एक साथ तलाशी ली। इस दौरान कारोबारी सूर्यकांत तिवारी फ रार हो गया है। रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू अपने सरकारी आवास से गायब पाई गईं। ईडी ने करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की नगदी, सोने के आभूषण, सराफ ा और करीब दो करोड़ रुपये के अन्य कीमती सामान जब्त किए हैं।
एक दिन में जारी हो गई 30 हजार से ज्यादा एनओसी : ईडी की जांच में पता चला कि खनिज विभाग के अधिकारियों ने एनओसी जारी करने के दस्तावेज नहीं रखे हैं। कई दस्तावेजों से अधिकारियों के हस्ताक्षर गायब है। 15 जुलाई 2022 से बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए 30 हजार से अधिक एनओसी जारी की गई। यही नहीं, आवक और जावक रजिस्टरों में इसे दर्ज तक नहीं किया गया था। अधिकारियों ने जो एनओसी जारी की, उसमें ट्रांसपोर्टर के नाम, कंपनी के नाम की जानकारी दर्ज करने की जगह खाली छोड़ दिया था।
6 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त : तलाशी और जांच के दौरान 2009 बैच के आइएएस अधिकारी समीर विश्नोई और उनकी पत्नी के पास से 47 लाख रुपये की नगदी और 4 किलो के सोने के आभूषण पाए गए हैं। लक्ष्मीकांत तिवारी के पास से 1.5 करोड़ रुपये नकद बरामद किया गया। उसने स्वीकार किया है कि वह रोजाना 1-2 करोड़ की जबरन वसूली करता था। जून 2022 में आयकर विभाग के छापे में भी लक्ष्मीकांत तिवारी के यहां से छह करोड़ 44 लाख रुपये नगद और तीन करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक कीमत के आभूषण बरामद हुए थे। वहीं, बड़े कोयला कारोबारी और इंद्रमणि समूह के सुनील अग्रवाल को भी इस रैकेट में शामिल पाया गया। यह सूर्यकांत तिवारी के एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार हैं।
एनओसी के लिए 25 रुपये प्रति टन की वसूली : ईडी की ओर से जारी बयान के अनुसार, सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों की सहायता से जबरन वसूली का एक नेटवर्क बनाया गया। इसके द्वारा कोयले के प्रत्येक खरीदार और ट्रांसपोर्टर को कलेक्टर कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने से पहले 25 रुपये प्रति टन का भुगतान करना पड़ता था। इसकी वसूली के लिए एक समूह बनाया गया था, जो पैसे नेताओं और आइएएस-आइपीएस अधिकारियों तक पहुंचाते थे। ईडी का अनुमान है कि प्रतिदिन लगभग 2-3 करोड़ रुपये की वसूली होती थी।
सुनील अग्रवाल पर अवैध रकम खपाने का आरोप : ईडी के मुताबिक गिरफ्तारी कारोबारी सुनील अग्रवाल वसूली में शामिल हैं। अग्रवाल ने फ रवरी 2022 में एक कंपनी बनाई। उसने जुलाई-अगस्त 2022 में दो कोल वाशरी खरीदी। इन दोनों के मालिकों को दबावपूर्वक कोल वाशरी की कीमत कम रखने पर बाध्य किया गया। उसके बाद उनको बेच भी दिया गया। आरोप है कि इन कोल वाशरी के जरिए अवैध उगाही गई रकम को खपाया गया है। सुनील अग्रवाल पर दस्तावेज नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया है।