Thursday, October 17, 2024
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अब निकलने लगी अर्ली वैरायटी धान की बालियां, किसान खुश

साल्हेओना. खरीफ सीजन के तहत ली गई अर्ली वैरायटी के धान फसल में बालियां निकलना शुरू हो गई है ऐसे में महीने भर में फसल पककर किसानों के घर आ जाने की संभावना बताई जा रही है. इससे छोटे किसानों के चेहरों में मुस्कान लौट आई है. अंचल में अल्प वर्षा की वजह से किसानों की परेशानी बढी हुई थी. एक पखवाड़े पहले लगातार दो दिन तक बारिश होने के बाद धान फसलों के लिए अमृत बना . किसानों के मेहनत का फल खेतों में अब आते दिखने लगा है. किसानों ने बताया कि अलग अलग वैरायटी के धान लगाए है जिन किसानों ने अर्ली वैरायटी ( कम दिनों में पकने वाले) के धान बीज लगाए थे उनमें अब बालियां आने लगी है. साकिया , महामाया, सिल्की, आनंदा जैसे धान फसल 60 से 80 दिनों में पककर तैयार होने वाले फसलों की बोआई छोटे व मंझोले किसान करते है. इस फसल की लागत कम होती है और फायदा भी मिल जाता है. देरी से हुई बारिश के बाद अब तेज धूप मिलने से इन फसलों में रोग व्याधि का प्रकोप नहीं लग रहा है ऐसे में दवा छिडकाव आदि का खर्च बच रहा है और खेतों में धान की फसल लहलहा रही है.

अच्छा उत्पादन की उम्मीद– इस क्षेत्र में सिल्की व साठिया धान की ज्यादातर बोनी की गई है . साल्हेओना के कृषक बागराय पटेल का कहना है कि छोटे धान की फसल में अब बाली आ चुकी है. मौसम ने साथ दिया तो दीपावली के आसपास फसल भी मिल जाएगी. इस बार महामाया जैसे संजीदा किस्म के छोटे धान में भी एक भी रोग नहीं दिख रहा है. अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है.

 

 

माई धान के लिए और पानी चाहिए — अधिक समय में पकने वाली यानि माई धान को लेकर किसान चिंतित है. इस फसल के लिए अभी और बारिश का होना नितांत आवश्यक है क्योंकि इस बार सही रुप से बारिश नहीं हुई. मानसून लगते ही अच्छी बारिश हुई लेकिन उसके बाद जब बडे़ धान फसल में पानी की जरूरत थी तब बारिश नहीं हुई. ईश्वर प्रसाद साहू ग्राम बिलाईगढ (अ) ने कहा कि रोपाई व निंदाई कार्य प्रभावित हुईं और खेतों में घास अधिक मात्रा में उग आए हैं वही पौधों की लम्बाई भी बेहद कम है.