Friday, November 22, 2024
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महानदी के पानी पर 37 साल से विवाद, 2 साल से ट्रिब्यूनल में मामला अटका, कल होगी सुनवाई

रायपुर। ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच महानदी के जल विवाद की समस्या को लेकर 3 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल में सुनवाई होगी। छग की जीवनरेखा महानदी के पानी को लेकर ओडिशा सरकार के साथ यह विवाद पिछले 37 सालों से चला आ रहा है। पानी को लेकर दोनों सरकारों के बीच दो साल पहले खींचतान ज्यादा बढ़ गई। मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहुंचा। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ही मामला ट्रिब्यूनल में गया है। जहां पिछले दो सालों से सुनवाई चल रही है। इस दौरान ओडिशा के मंत्री व विधायक अफसरों को लेकर छत्तीसगढ़ पहुंचे और विभिन्न बांधों व बैराजों का दौरा कर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई। वहीं छग के अफसर भी ओडि़शा पहुंचे थे, लेकिन दो सालों से कोई नतीजा नहीं निकला है। अब सबकी नजरें एक बार फिर कल ट्रिब्यूनल पर रहेगी। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ और ओडि़शा के बीच चल रहा यह विवाद लगभग 37 वर्ष पुराना है। महानदी के जल-बंटवारे को लेकर पहला समझौता अविभाजित मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और ओडि़शा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक के बीच 28 अप्रैल 1983 को हुआ था। इस समझौते में तय किया गया था कि नदी पर बांध निर्माण संबंधी कोई विवाद सामने आता है तो उसका निराकरण अन्तरराज्यीय परिषद करेगी। इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा संबलपुर में हीराकुंड बांध बनाया गया जिसे ओडि़शा सरकार को सौंप दिया गया। हीराकुंड बांध तक महानदी का जलग्रहण क्षेत्र 82,432 किलोमीटर है जिसमें से 71,424 किलोमीटर छत्तीसगढ़ में है जो इसके संपूर्ण जल ग्रहण क्षेत्र का लगभग 86 प्रतिशत है जबकि छत्तीसगढ़ द्वारा महानदी पर बने हीराकुंड बांध का केवल 25 प्रतिशत पानी ही उपयोग किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यायाधिकरण का गठन: ओडिशा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया गया। दायर मुकदमे में 23 जनवरी 2018 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया। ओडिशा सरकार ने मांग की थी कि अन्तरराज्यीय नदी जल विवाद कानून, 1956 के अंतर्गत अन्तरराज्यीय नदी महानदी और उसकी नदी घाटी पर जल विवाद को फैसले के लिए न्यायाधिकरण को सौंप दिया जाए। इसके बाद से ही मामला न्यायाधिकरण में चल रहा है।