Friday, November 22, 2024
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प्रदेश में बढ़ रहा वन्य जीवों का शिकार और तस्करी का मामला, पानी में जहर मिलाकर नीलगाय को मारा, 7 शिकारी गिरफ्तार, शिकारियों से पका हुआ और कच्चा मांस भी जब्त

धमतरी। प्रदेश में वन विभाग की लापरवाही व अनदेखी के कारण अब वन्य प्राणी भी सुरक्षित नहीं है। वनों में वन्य प्राणियों की सामान्य मौत के अलावा लगातार शिकार से भी इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है, जिसे रोक पाने में वन अमला नाकाम साबित हो रहा है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार भी गंभीर नजर नहीं आ रही है। लगातार प्रदेश के अलग-अलग जिलों से जंगली जानवरों का शिकार करने का मामला सामने आ रहा है। बीते सप्ताह ही महासमुंद जिले में 4 जंगली सूअर और एक बायसन की करंट लगाकर शिकार किया गया। अब छत्तीसगढ़ के धमतरी से नीलगाय का शिकार करने का मामला सामने आया है। शिकारियों ने पानी में जहर देकर नीलगाय की हत्या की फिर उसका मांस काट कर खाने की तैयारी में थे। हालांकि वन विभाग ने 7 शिकारियों को पकड़ लिया। अगर विभाग पहले ही मुस्तैद रहता तो शिकारी वन्य प्राणी का शिकार करने की जहमद ही नहीं उठाते और एक वन्य जीव की जान बच सकती थी।

 

4 दिन पहले किया था शिकार : वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 22 मई को वन परिक्षेत्र उत्तर सिंगपुर के आरक्षित वन कक्ष क्रमांक 56 व 55 ग्राम कुसुमखूंटा में एक मादा नीलगाय को जहरीला पानी देकर कुछ ग्रामीणों द्वारा मारकर उसके मांस को खाने के लिए बांटने की जानकारी वन विभाग तक पहुंची। वन विभाग को टीम नें दबिश दी। 22 मई को 3 शिकारियों को पकड़ा था, जबकि 7 फरार थे। मंगलवार को फरार 4 आरोपी और गिरफ्तार हुए। इन आरोपियों से  पका, कच्चा मांस, पैरों की हडि्डयां, हंसिया सहित अन्य हथियार जब्त हुए हैं।

 

इन शिकारियों को वन विभाग ने पकड़ा : नील गाय शिकार मामले में 7 आरोपियों को वन विभाग ने पकड़ा हैं। इनमें कुसुमखुटा निवासी आरोपी राजू (31) पिता परस गोड़, शिवकुमार (28) पिता दीपक गोंड, गौतम (35) पिता सुखराम गोंड़, सुखदेव (31) पिता रूपसिंह गोंड, भारत (44) पिता बल्दु गोड़, राजेंद्र (29) पिता परसराम गोड़ व पेंड्रा निवासी नोहर पिता सुकलाल गोड़ शामिल हैं। सभी के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 50, 51, 52 के तहत गिरफ्तार किया। प्रथम श्रेणी न्यायालय कुरूद में पेश किया गया। जहां से जेल भेजा है।

 

लंबे समय से कर रहे थे शिकार : डीएफओ सतोविशा समाजदार ने बताया कि आरोपी मूलतः शिकारी प्रवृत्ति के लोग हैं। अपने खाने के लिए चीतल, नीलगाय का शिकार करते हैं। शिकारियों ने शिकार का तरीका भी बदल लिया है। कई मामले पकड़ में नहीं आने से आरोपित बच जाते हैं।