रायगढ़। सारंगढ़ वन परिक्षेत्र में कैम्पा मद की राशि में भारी भ्रष्टाचार का मुद्दा विधानसभा में उठा था। कई महीनों तक मामले को दबाने के बाद अब जाकर जांच शुरू हुई है। वर्ष 18-19 में कैम्पा मद के तहत वैकल्पिक वृक्षारोपण की राशि को मनमाने तरीके से खर्च कर अवैध कमाई की गई। जितनी सामग्री की बिलिंग की गई, उतने की सप्लाई ही नहीं हुई। पूर्व डीएफओ और वर्तमान डीएफओ के खिलाफ शिकायत की गई है।
वन विभाग में कैम्पा मद से सामग्री खरीदी और अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार की लंबी लिस्ट रही है। जांच में हर बार दोषियों के बच निकलने के कारण अधिकारी भी अब मस्त होकर बेखौफ तरीके से गड़बड़ी करते हैं। विधानसभा में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा ने विषय उठाया था। उन्होंने मौके का खुद निरीक्षण करने की मांग की थी। इसी की जांच के लिए वे रायगढ़ पहुंचे थे। लेकिन उन्हें सही स्पॉट तक नहीं ले जाया गया। सारंगढ़ परिक्षेत्र में ऐसे ही भारी गड़बड़ी की शिकायत सरकार तक पहुंची थी, जिस पर जांच के आदेश दिए गए थे। लेकिन कई महीनों तक जांच कमेटी नहीं पहुंची। शुक्रवार को कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा रायगढ़ पहुंचे थे। रायगढ़ में उन्हें सारंगढ़ के सूअरगुड़ा का निरीक्षण करना था, जहां ज्यादा गड़बड़ी है लेकिन उन्हें चंद्रपुर के पास धोबनीपाली दिखाकर वापस लाया गया। शिकायतकर्ता पीएस पटेल रिटायर्ड एसडीओ ने वन विभाग में चल रही भर्राशाही की गहराई से पड़ताल करके शिकायत की है। उन्होंने 12 बिंदुओं में तत्कालीन डीएफओ विजया रात्रे, वर्तमान डीएफओ मनोज पांडे और उपवनमंडलाधिकारी एनआर खूंटे द्वारा की गई गड़बड़ी व कमीशनखोरी को उजागर किया था। उनका आरोप है कि वनखंड में कक्षों का 570 हे. रकबा घेराव करने के लिए 31 टन बारबेड वायर क्रय दिखाकर 18 टन ही प्रदाय किया गया। भंडार क्रय नियम का पालन किए बगैर सरिया के अमरजीत आहूजा से डीएपी, यूरिया व क्लोरोपाई फास दवा क्रय क्रय किया गया। 22 रुपए किलो की दर से डीएपी खरीदकर 1,69,202 रुपए व्यय किए गए। इसी तरह यूरिया खरीदी में 37609 रुपए व्यय किए गए। क्लोरोपाई फास दवा 2317 लीटर 220 रुपए की दर से खरीदी गई। इसमें 5,09,740 रुपए व्यय किए गए। 38570 किग्रा नीम खली की खरीदी विजया रात्रे ने 22 रुपए किलो की दर से शारदा ट्रेडिंग कंपनी ब्रांच एसजी इंडस्ट्रीज मनेंद्रगढ़ से की गई, जिसमें 8,48,540 रुपए खर्च हुए। इसी तरह धरमजयगढ़ के अरुण कुमार अग्रवाल से आरसी पोल खरीदी की गई। बिना टेंडर किए 4600 पोल की खरीदी 200 रुपए की दर से कर 9.20 लाख रुपए भुगतान किया गया है। यही नहीं एसजी इंडस्ट्रीज मनेंद्रगढ़ से भी विजया रात्रे ने जून 2018 में 8510 नग आरसीसी पोल 17.02 लाख रुपए में खरीदे।
चहेते से कराया काम
शिकायत में कहा गया है कि 413 हे. वनभूमि के जोताई के काम में विधि विरुद्ध काम कराकर 22.04 लाख रुपए व्यय कर दिए गए। इसी तरी पौधों के परिवहन में 15 रुपए प्रति पौधे की दर से काम चहेते ठेकेदार को दे दिया गया। बिलासपुर के बांसाझाल व अरण्यका रोपणी से 2,15,849 नग पौधे के लिए 32,37,735 रुपए का भुगतान किया गया। गड्ढा खुदाई काम में 28.35 रुपए की दर से करीब 1 करोड़ 9 लाख रुपए भुगतान किया गया है, जो तय मानकों के आधार पर 15 लाख रुपए अधिक है। मजदूरों को 270 रुपए प्रतिदिन की दर से लगाया गया था लेकिन 200 रुपए की दर से भुगतान किया गया है।
बिना साइन लिए चैक से भुगतान
शासन का निर्देश है कि किसी भी मजदूर को नगद या चैक से भुगतान न कर उनके बैंक एकाउंट में मजदूरी जमा कराई जाए। लेकिन किसी भी प्रमाणक में नियमों का पालन नहीं किया गया है। श्रमिकों के नाम के आगे बिना दस्तखत लिए चैक से भुगतान किया गया है। ऐसे श्रमिकों का नाम लिखा हुआ है जिन्होंने वृक्षारोपण से संबंधित कोई काम ही नहीं किया है। फर्जी प्रमाणक बनाकर लाखों का गबन किया गया है। सहसपानी परिक्षेत्र के बीडीसी के पुत्रों के नाम भी श्रमिकों की सूची में हैं लेकिन वे कभी काम करने ही नहीं गए। इसी तरह ऐसे ग्रामीणों का नाम लिस्ट में है जिनके जन-धन खाते हैं। लेकिन उन्होंने भी कोई काम नहीं किया है।
सबको बचाने की तैयारी में विभाग
वन विभाग में इतनी पुख्ता शिकायत अब तक नहीं हुई थी। शिकायतकर्ता रिटायर्ड सहायक वन संरक्षक है इसलिए उसे विभाग की असली गड़बड़ी के बारे में पूरी जानकारी है। दस्तावेजों के साथ मामला उठाया गया है। लेकिन वन विभाग ने इस मामले में फंस रहे सभी अधिकारियों को बचाने की तैयारी की जा चुकी है। इसलिए दस्तावेजों और मौके की पड़ताल ठीक से कराने के बजाय दो जगहों का दौरा कर वापस भेज दिया गया।
वर्सन
विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद जांच करने सत्यनारायण शर्मा पहुंचे थे। उन्हें दो स्थानों का निरीक्षण करवाया गया।
– मनोज पांडे, डीएफओ रायगढ़