Space Education In Schools : अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी अंतरिक्ष की उड़ान और सैनिकों की शौर्यगाथा

नई शिक्षा पहल के तहत बच्चे जानेंगे चंद्रयान की वैज्ञानिक यात्रा और ऑपरेशन सिंदूर की वीरगाथा

By admin
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Space Education In Schools

देश के स्कूली बच्चों (Space Education In Schools) को अब पाठ्यपुस्तकों से आगे बढ़कर भारतीय अंतरिक्ष अभियानों और सैन्य शौर्य की कहानियों से अवगत कराया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी ने इस दिशा में एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत छात्रों को मिशन स्पेस और ऑपरेशन सिंदूर की गाथा माड्यूल के रूप में पढ़ाई जाएगी। इस प्रयास का उद्देश्य बच्चों में राष्ट्रीय गर्व और वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करना है।

इस पहल के माध्यम से बच्चे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा, चंद्रयान मिशन और हाल के प्रमुख भारतीय अंतरिक्ष अभियानों (Space Education In Schools) की जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से उन्हें यह भी बताया जाएगा कि किस प्रकार भारतीय सेना ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया और देश की सीमाओं की रक्षा की।

 

दो स्तरों पर होगा Space Education In Schools तैयार

शिक्षा मंत्रालय द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, इस माड्यूल को दो स्तरों में विभाजित किया जा रहा है। पहले स्तर को कक्षा 3 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है, जबकि दूसरा स्तर कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों के लिए तैयार होगा। इससे बच्चों को उनकी समझ के अनुरूप विषयवस्तु का अध्ययन कराने में आसानी होगी।

सूत्रों की मानें तो यह माड्यूल 8 से 10 पृष्ठों का होगा और इसमें आकर्षक चित्रों व रोचक शैली में सामग्री दी जाएगी। इस माड्यूल में न सिर्फ शुभांशु शुक्ला की स्पेस स्टेशन यात्रा और चंद्रयान के मिशन (Space Education In Schools) की कहानी शामिल होगी, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए देश की सैन्य ताकत और वीरता की झलक भी मिलेगी।

गौरतलब है कि इससे पहले भी एनसीईआरटी की ओर से स्कूली विद्यार्थियों के लिए मिशन लाइफ, सड़क सुरक्षा और विभाजन की विभीषिका जैसे विशेष माड्यूल तैयार किए जा चुके हैं। इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विषय आधारित व्यवहारिक ज्ञान और भारत की उपलब्धियों से जोड़ना है।

 

सीबीएसई स्कूल भी अब पढ़ाएंगे एनसीईआरटी की पुस्तकें

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार की गई राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पहली से आठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों को अब सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) भी अपने स्कूलों में पढ़ाएगा। सीबीएसई ने यह फैसला शिक्षा मंत्रालय के सुझाव के बाद लिया है, जिसमें नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क और समान मूल्यांकन पैटर्न के तहत एनसीईआरटी की नई पुस्तकों को पढ़ाने का सुझाव दिया गया था। जिसके बाद सीबीएसई ने अपने से संबद्ध सभी स्कूलों को इसे अमल में लाने के निर्देश दिए हैं।

शिक्षा मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक सीबीएसई स्कूलों में नौवीं से ग्यारहवीं तक एनसीईआरटी की पुस्तकों को अभी अनिवार्य रूप से पढ़ाया जा रहा है लेकिन पहली से आठवीं कक्षा तक में स्कूलों को इससे छूट दी गई थी। हालांकि अब सीबीएसई ने अपने संबद्ध स्कूलों को जोर देकर पहली से आठवीं कक्षा तक में भी एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ाने को कहा है। साथ ही इसे लेकर संबद्धता से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया है।

 

 

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