बरमकेला। ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्यों में मजदूरों के मुंह से निवाला छीनकर जेसीबी मशीनों से काम कराया जा रहा है। जनपद पंचायत सीईओ व मनरेगा पीओ के संरक्षण में सरपंच-सचिव धड़ल्ले से मशीन से काम करवाने में लगे हैं। इसके पहले भी अनेक ग्राम पंचायतों में जेसीबी मशीन से कार्य कराए जाने के मामले उजागर हुए हैं। शिकायत के बाद भी कोई नहीं हो रही है।
ग्राम पंचायत मनरेगा मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन से काम करवाने का मामला छत्तीसगढ़ सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला जनपद पंचायत का है। यहां के हर ग्राम पंचायत में मनरेगा से बनने वाली सड़क, तालाब, डबरी, भूमि समतलीकरण के काम में जेसीबी मशीन का उपयोग किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) से मजदूरों को साल भर में कम से कम 100 दिनों तक काम दिलाने की योजना है। वहीं इस साल केंद्र ने मनरेगा की मजदूरी दर भी बढ़ा दी है। अब वर्तमान में छत्तीसगढ़ में मनरेगा मजदूरी की दर 221 रुपए हो गई है। नई दर 1 अप्रैल 2023 से लागू हो गई है, लेकिन जनपद पंचायत के अधिकारियों की मनमानी के कारण मजदूरों को इस योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है और इन मजदूरों की जगह पंचायत में जेसीबी मशीन से काम हो रहा है। कुल मिलाकर अधिकारी ही इस योजना का पलीता लगाने में लगे हुए हैं।
पलायन करने को मजबूर हो रहे ग्रामीण : बरमकेला जनपद पंचायत क्षेत्र में इन दिनों मनरेगा का काम मजदूरों की बजाय मशीनों से कराया जा रहा है। ऐसे में मजदूर काम के अभाव में अपने घर परिवार भी नही चला पाते हैं। विभागीय कर्मियों व जनप्रतिनिधियों की जुगलबंदी का आलम है कि दर्जनों मजदूरों की पेट पर लात मार देते है। क्षेत्र में चल रहे मनरेगा योजनाओं के कार्य में जेसीबी मशीन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिसके कारण स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है और वे पलायन करने को मजबूर हो रहे है।
फर्जी मस्टर रोल तैयार कर काट रहे चांदी : मनरेगा योजना का एग्रीमेंट से पूर्व ही जेसीबी मशीन से कार्य करा लिया जाता है। बाद में सारी प्रक्रिया पूरी की जाती है। दरअसल, मनरेगा मजदूरों के नाम पर फर्जी मस्टर रोल बनाकर पैसा हड़प ली जाएगी। इस योजना में इतनी बड़ी लापरवाही की जा रही है मगर अधिकारियों की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे न सिर्फ बेरोजगारी बढ़ेगी, सरकारी कार्यालयों में अराजकता भी बढ़ रही है। वहीं इंजीनियर कार्यस्थल का निरीक्षण किए बिना ही काम पास करते हैं। इस तरह लोगों की आंखों मे धूल झोंककर मनरेगा योजना के साथ-साथ मजदूरों की रोटी से भी खिलवाड़ कर कर्मी व जन प्रतिनिधि चांदी काट रहे हैं। वहीं मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने से उनके परिजनों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।