बरमकेला। एक वर्ष पहले राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के गांव रेंडालगुरजा का एक किसान युवक बिना मन्नत के पूर्ण श्रद्धा व भक्ति से 1800 किलोमीटर की जमीन पर लेट कर नापते हुए ओडिशा के प्रसिद्ध धाम जगन्नाथ पुरी के दर्शन के लिए निकला हुआ है। इस श्रद्धालु युवक ने पिछले महीने के एक अप्रैल से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था और एक माह बाद गुरुवार को छत्तीसगढ़ सरहद पार कर ओडिशा में दाखिल हो गया। ऐसे में दो दिनों तक छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला के सीमावर्ती गांवों के लोगों ने पुरी धाम के यात्री का स्वागत अभिनंदन कर मंगलमय यात्रा की कामना करते हुए विदा किया। इस लंबी यात्रा कर रहे युवक विजय गुर्जर पिता सियाराम उम्र 35 वर्ष ने बताया कि उसने कर नापते हुए इसकी शुरुआत गृह ग्राम से 7 दिसम्बर 2022 से कर रहा है। कर नापते हुए मध्यप्रदेश, युपी, फिर मध्यप्रदेश के राज मार्ग पर होते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के राजमार्ग पर ओडिशा के जगन्नाथ पुरी धाम जा रहा है. एक दिन में 10 किलोमीटर कर नापते है।दिन में चाय अथवा दूध का सेवन कर दोपहर में बमुश्किल से 10 मिनट विश्राम करते हैं और रात्रि में ही भोजन में दाल भात, रोटी लेते है। उनका कहना है कि इस यात्रा के लिए कोई मन्नत नहीं मांगी थी। केवल दर्शन करने के उद्देश्य से कर नाप रहा हूँ। इस दौरान जय जगन्नाथ मंत्र का जाप करने से आत्म शक्ति मिलने की बात कही। गुरुवार को बरमकेला के अंतिम गांव बिरनीपाली के सोमनाथ गिरी गोस्वामी, केशबो साहू, जीतू साहू, नीलाम्बर साहू, सुदाम साहू, प्रकाश साहू व रंगाडीह के संजय चौधरी ने श्रद्धालु युवक को विश्राम कराकर स्वल्पाहार व भोजन कराया और विश्राम दिया गया। एक दिन पहले झिंकीपाली गांव के सामाजिक ग्रामीणों ने भी अभिनंदन कर विश्राम कराया था।
साथ चल रहे मामा कर रहे रामायण पाठ : कर नाप रहे विजय गुर्जर के साथ उसके मामा बाबू सिंह गुर्जर व पडोसी गोपाल मीणा चार पहिया में चल रहे हैं। मामा बाबू सिंह का कहना था कि भांजे दिन भर धूप हो, बारिश हो या ठंड कर नापना बंद नहीं करते है और इस दौरान हम दोनों सहयोगी के रूप में आगे- आगे चल रहे है। साथ ही रामचरितमानस का पाठ चलता रहता है।
इसलिए हाइवे को चुना : ज्यादातर ऐसे श्रद्धालु शार्टकट रास्ते में चलने के लिए ग्रामीण सडकों का इस्तेमाल करते हुए जाते देखा गया है। पत्रिका टीम ने भी इसी को लेकर पूछे गए सवाल पर गुर्जर ने बताया कि कई बार गांव के ग्रामीण लोग कर नापते हुए जाते देख उटपटांग सवाल जवाब कर बहस करते हैं। ऐसा ही वाक्या छत्तीसगढ़ के एक जगह पर हुआ था. इस वजह से हाइवे पर चलना बेहतर है और किसी ने श्रद्धावश विश्राम कराकर चाय- पानी की व्यवस्था करा दिया तो ठीक है ,अन्यथा हमारे सहयोगी खुद बनाते है. यात्रा के विश्राम के लिए आगे बढने के पहले वहीं से 10-15 कदम पीछे लौट कर करने का नियम पालन करना होता है।अब 400 किलोमीटर की दूरी तय करना शेष है . तब जाकर जगन्नाथ पुरी धाम की यात्रा पूर्ण होगी।