Cyber Security India : मोबाइल नंबर से धोखाधड़ी रोकने नया साइबर सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म, बदले जाएंगे नियम

साइबर फ्रॉड पर नियंत्रण के लिए मोबाइल नंबर के सत्यापन हेतु 'एमएनवी प्लेटफॉर्म' होगा लागू, डीओटी ने नया मसौदा जारी कर मांगे सुझाव।

By admin
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साइबर ठगी का प्रतिकात्मक चित्र। सोर्स : आरटीसी
Highlights
  • दूरसंचार विभाग ने साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन का मसौदा जारी किया
  • बैंकों सहित संस्थाओं को मोबाइल नंबर के वैरिफिकेशन की अनुमति
  • सरकार को लेनदेन की जानकारी जुटाने की वैधानिक शक्ति मिलेगी
  • प्रत्येक वैरिफिकेशन के लिए तय होगा शुल्क, पायलट प्रोजेक्ट शुरू
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Digital Fraud Control : डिजिटल धोखाधड़ी (Cyber Security India) और मोबाइल नंबर के दुरुपयोग को रोकने के लिए अब केंद्र सरकार ने कड़े कदम उठाने की तैयारी कर ली है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन का मसौदा तैयार कर 24 जून को इसे सार्वजनिक किया है। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य मोबाइल नंबरों के आधार पर की जा रही धोखाधड़ी को नियंत्रित करना है, विशेष रूप से बैंकिंग, यूपीआई और डिजिटल ट्रांजैक्शन के क्षेत्र में।

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प्रस्ताव के अनुसार, मोबाइल नंबर सत्यापन के लिए एक नया प्लेटफॉर्म (Cyber Security India) बनाया जाएगा जिसे “एमएनवी प्लेटफॉर्म” कहा जाएगा। यह प्लेटफॉर्म उन संस्थाओं को मोबाइल नंबर सत्यापन की सुविधा देगा जो ग्राहक पहचान और लेनदेन प्रमाणन के लिए मोबाइल नंबर का उपयोग करती हैं। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से यह जांचा जा सकेगा कि उपयोगकर्ता का नंबर किसी अधिकृत डेटाबेस में मौजूद है या नहीं।

टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी (TIUE) के माध्यम से काम करने वाली संस्थाओं के लिए नियम तय किए गए हैं। सरकारी संस्थाओं को प्रति अनुरोध 1.5 रुपये, जबकि अन्य संस्थाओं को 3 रुपये प्रति वैरिफिकेशन शुल्क देना होगा।

 

एजेंसियों को मिलेगी कानूनी शक्ति (Cyber Security India)

नए नियमों के तहत केंद्र और राज्य सरकार की अधिकृत एजेंसियों को लेनदेन की जानकारी मांगने की कानूनी शक्ति भी दी जाएगी। इससे संदिग्ध या धोखाधड़ी वाले लेनदेन की निगरानी सरल होगी। सूत्रों के अनुसार, एक अग्रणी बैंक ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू कर दिया है। इसमें किसी भी संदिग्ध नंबर को चिन्हित कर 90 दिनों के लिए निष्क्रिय किया जा सकता है।

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दूरसंचार विभाग ने मसौदे पर 30 दिन के भीतर सार्वजनिक सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बदलाव से मोबाइल नंबर आधारित वित्तीय लेनदेन को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे डिजिटल (Cyber Security India) उपभोक्ताओं को सीधा लाभ होगा।

 

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