Baramkela News : ग्राम पंचायतों में हर दिन नए-नए घोटाले सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के जनपद पंचायत बरमकेला के ग्राम पंचायतों में इन दिनों सबमर्सिबल पंप (बोर) खरीदी फर्जीवाड़ा की जमकर चर्चा हो रही है। यहां सरपंच-सचिव से लेकर जनपद पंचायत के अधिकारियों की नगर के सोहेला रोड स्थित एक फर्म में तगड़ी सेटिंग है। यहां से ग्राम पंचायतों के लिए सचिव-सरपंच डेढ़ से 2 एचपी के सममर्सिबल पंप दोगुने दाम में खरीद कर सरकार को चूना लगाने का काम कर रहे हैं। दरअसल, जो पंप मार्केट में 10 से 15 हजार रुपए तक आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसके लिए सरपंच-सचिव 20 से 25 हजार रुपए में खरीद रहे। बता दें कि वर्तमान में भीषण गर्मी के कारण कई गांवों में पीने की पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। लोग पानी के लिए दर-दर भटक रहे। ग्रामीणों की इस समस्या को सरपंच-सचिव और जनपद पंचायत के अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। ग्रामीणों की मांग पर सरपंच गांवों में ट्यूबवेल (बोर) खनन करवा रहे। इनमें डेढ़ से 2 एचपी का सबमर्सिबल पंप लगा रहे। पंचायतों द्वारा 14वें व 15वें वित्त मद की राशि से इस पंप को बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय में बरमकेला-सोहेला रोड में स्थित एक ही फर्म से सबमर्सिबल पंप खरीद रहे। जबकि इस फ र्म द्वारा दोगुने दामों में पंप बेचा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि नगर में एक ही दुकान संचालित है। सबमर्सिबल पंप की दो से तीन अन्य दुकानें भी है। बावजूद इसके जनपद के अंतर्गत पूरे ग्राम पंचायतों के लिए यही से सबमर्सिबल पंप खरीदा जा रहा है। सूत्रों की माने तो कुछ सरपंच दूसरी जगह से भी लेना चाहते हैं तो उन पर जनपद के अधिकारी दबाव बनाकर इसी फर्म से खरीदी करवा रहे। जबकि जनपद पंचायत से ऐसा कोई नियम या शर्ते नहीं है कि इसी दुकान से पंप खरीदा जाए। ऐसा भी नहीं है कि निविदा के माध्यम से इसी दुकान संचालक को पंचायतों में पंप उपलब्ध कराना है।
हर पंप में नीचे से ऊपर तक कमीशन : जो पंप बाजार में 10 से 15 हजार रुपए में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इसके लिए सरपंच इस फर्म संचालक से 20 से 25 हजार रुपए तक में खरीद रहे। दरअसल, पर पंप के पीछे सभी का कमीशन बंधा हुआ है। सरपंच-सचिव से लेकर जनपद के अधिकारियों को बकायादा चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इसलिए नगर में दो से तीन अन्य दुकानें होने के बाद भी सभी पंचायतों को यहीं से पंप खरीदवाया जाता है। कुछ सरपंचों ने नाम न छापने की शर्तो पर बताया कि जीएसटी बिल के नाम पर भी इस दुकान संचालक द्वारा मनमानी की जाती है। फर्म संचालक द्वारा चेहरा व रूतबा देखकर जीएसटी बिल के नाम पर पैसे लिए व छूट दिए जाते हैं।