Friday, November 22, 2024
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CG NEWS : सरसों के पीले फूलों से हुआ धरती का शृंगार…बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही लहलहाने लगी खेतों में लगी सरसों के पीले फूल

बरमकेला। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के अंचल के किसानों ने व्यापक पैमाने पर सरसों की खेती की है। इसमें फूल खिल आए हैं जो लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। कृषि विभाग बरमकेला के अनुसार इस साल क्षेत्र की खेतिहर जमीन पर 38 16 हेक्टेयर में सरसों की खेती करने का लक्ष्य रखा था लेकिन लक्ष्य से अधिक सरसों की फ सल ली गई है। पिछले साल का लक्ष्य 1917 हेक्टेयर था। बरहाल ग्रीष्मकालीन सीजन में परंपरागत धान फ सल के साथ किसानों ने सरसों की फ सल पर रुझान बढ़ाने लगे है। भले ही वाटर लेवल की कमी कहे या फि र किसानों की बेबसी। इस क्षेत्र में परंपरागत तौर पर धान की खेती करने वाले किसान अब धान, गेंहू के साथ साथ दूसरे फ सल को अपना रहे हैं। ग्रीष्मकालीन फ सल में सरसों की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। यही वजह है कि साल्हेओना और ब्लाक मुख्यालय से लगा खपरापाली के आसपास गांवों में पिछले तीन सालों से इसकी रकबा बढ़ गया है। किसान खगेश्वर पटेल साल्हेओना , बोरजो सारथी छुहीपाली, कुसुम पटेल धोबनीपाली का कहना है कि कम लागत में ज्यादा मुनाफ ा देने वाली सरसों की खेती साबित हो रही है। दूसरी सबसे बड़ी वजह है कि इस क्षेत्र में वाटर लेवल घटने से किसान धान की खेती के स्थान पर सरसों की बुआई कर रहे हैं। तीन महीने में तीन- चार बार पानी सिंचाई करनी पड़ती है। धान फ सल के अपेक्षा कीटनाशक दवा भी नहीं छिड़काव करना पड़ता हैं। ऐसे में अब किसान सरसों की फसल को विकल्प के तौर में खेती की हैं। इस बार भी किसान सरसों की अच्छी उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं।

न्याय योजना ने भी प्रेरित किया : राजीव गांधी न्याय योजना के तहत धान के बदले अन्य फ सलों की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 10,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि भी सरसों फ सल को बढ़ावा मिला है। यह केवल खरीफ सीजन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। पिछले साल ग्रीष्मकालीन फ सल में साल्हेओना के किसान करुणासागर पटेल, लालसाय पटेल, संतोष पटेल, महेतर पटेल, रामदास पटेल, नरसिंह चौधरी ने काफ ी मात्रा में सरसों की बुआई किए थे। उनके देखा – देखी में इस बार धोबनीपाली व मानिकपुर बड़े के कुछेक किसानों ने सरसों की खेती की है।

 

 

 

उतेरा फ सल में तिवरा व मटरी की फसल : जलाशय के नीचे भूभाग की कृषि जमीनों पर नमी का फ ायदा उठाते हुए साल्हेओना और कंचनपुर (ब) के छोटे छोटे किसानों ने तिवरा व मटरी की बोनी की है। उतेरा फसल में धान कटाई के पहले ही बिना जोताई व सिंचाई के ही कमाया जाता है। हालांकि उतेरा फ सल का दायरा घटते ही जा रहा है।

 

 

 

पिछले साल सरसों की फ सल अच्छी हुई थी। इसी के चलते किसानों ने दोगुने उत्साह से अन्य किसानों ने भी सरसों की बुआई की है। हालांकि रबी सीजन में राजीव गांधी न्याय योजना लागू नहीं होता है । फि र भी किसानों को उन्नत बीज व सलाह देकर सरसों की पैदावार बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
बसंत नायक, एसएडीईओ कृषि विभाग, बरमकेला .