पत्थलगांव। बेशकीमती सागौन की तस्करी करने का बड़ा मामला सामने आया है। मामला जशपुर जिले के लुड़ेग बीट का है। यहां के बेलडेगी में शुक्रवार को ट्रेक्टर के जरिए सागौन लकड़ी की तस्करी की जा रही थी। तस्करों ने इसे जलाऊ बताते हुए चेक पोस्ट पर रसीद भी जलाऊ की दी। लकडियां ट्रैक्टर में लोड करने वाले थे कि सरपंच को शक हुआ तो वे नजदीक पहुंचे और ट्रैक्टर को गांव में ही रोक कर पुलिस व वन विभाग को इसकी सूचना दी। जब्त सागौन की अनुमानित कीमत लगभग 25 लाख बताई जा रही है। तस्करी के इस खेल में सबसे बड़ा दुखद पहलु यह है की इतनी भारी मात्रा में जंगल से लकड़ी की अवैध कटाई का भनक तक वन विभाग को नहीं लगी। जानकारी के मुताबिक, जिस जगह पर यह अवैध कटाई हो रही थी वहां वन विभाग द्वारा जलाऊ लकड़ी का रसीद दिखाकर तस्करी को वैध बनाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन सरपंच व ग्रामीणों की सक्रियता ने तस्करों के इस खेल को उजागर कर दिया।
दो संदिग्ध हिरासत में : बताया जा रहा है की इस मामले में लुड़ेग निवासी दो संदिग्ध को पत्थलगांव पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ करनी शुरू कर दी है। वहीं मुख्य सरगना फरार बताया जा रहा है। वन विभाग के साठगांठ से सागौन की अवैध कटाई और चोरी के मामले में एक रसूखदार की एक ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन भी जब्त की गई है। इस मामले में एक वनकर्मी की भूमिका भी संदिग्ध है। क्योंकि जब जंगल में लकड़ी कटाई की मशीन की आवाज जब आसपास के ग्रामीणों ने सुनी तो तत्काल जंगल पहुंच कर देखा तो वहां जेसीबी के माध्यम से ट्रैक्टर में सागौन के कच्ची लकड़ी को लोड किया जा रहा था। वहीं वन विभाग के कर्मचारी भी वहां मौजूद थे। जब ग्रामीणों ने लकड़ी कटाई की वजह और कटाई की अनुमति पत्र मांगा तो वहां मौजूद वन कर्मचारी भागकर फ रार हो गया।
लगातार हो रही सागौन पेड़ों की कटाई : विकासखंड के आदिवासी अंचल तिलईखार जंगल, चिन्बहरी जगल, रेंचुवा घाट समेत अन्य वन क्षेत्रो में सागौन सहित इमारती पेड़ों की अवैध कटाई जोरों पर है। सालों से हो रही अवैध कटाई पर वन विभाग का मौन रहना आश्चर्यजनक है। एक ओर तो कृषि वन भूमि पर कटाई कर अवैध कब्जा कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी विशेषकर सागौन की लकड़ी की अवैध कटाई कर उसे चोरी छुपे फ र्नीचर बनाकर बेचने में निरंतर बेखौफ लगे हैं। फ र्नीचर निर्माण व बिक्री का पूरा कार्य खुलेआम चल रहा है। फि र भी वन विभाग के अधिकारियों का आंख मूंदकर बैठना यह साबित करता है कि जंगलों की अवैध कटाई वन विभाग की सरपरस्ती पर खुलेआम चल रही।