Chhattisgarh News : लोगों ने लोकतंत्र के हवन में अपने मतदान की आहूतियां दे दीं। अब 3 दिसंबर को ही पता चलेगा कि सत्तासीन कांग्रेस सरकार (CG CM Vivad) के खिलाफ वोटिंग हुई है या फिर बदलाव के लिए कमल फूल पर बटन दबाया है। हालांकि दोनों ही पार्टियों का अपना अपना दावा है।
कांग्रेस जहां 50 से 55 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी का दावा ठाेक रही है तो बीजेपी भी 50 से 52 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है। अब इस दावे का सच तो 3 दिसंबर की सुबह 10 बजे तक स्पष्ट हो जाएगा।
दूसरी तरफ वोटिंग के दौरान ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस में एक बार फिर सीएम पद को लेकर कलह सामने आ गयी। जबकि अभी नतीजे आने में अभी काफी वक्त है, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह अभी से सामने आने लगी है। अंदर तो आग जगह जगह लगी हुई है, लेकिन पहला धुआं छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री (CG CM Vivad) की कुर्सी को लेकर दिखाई पड़ा है।
छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल सीएम (CG CM Vivad) के फार्मूेले पर खूब चर्चा हुई थी। यहां तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थक विधायक दिल्ली कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच गए थे। स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि आखिर में वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को चुनाव के करीब छह महीने पहले उपमुख्यमंत्री बनाकर इस विवाद को टालने की कोशिश की गई थी।
2023 विधानसभा चुनाव तक ये विवाद जरुर टाल दिया गया, लेकिन अगर कांग्रेस सत्ता में फिर लौटी तो कांग्रेस पार्टी के लिए इस बार विवाद का टालना या फिर किसी नेता को संतोष करना कतई आसान नहीं होगा।
ऐसा इसलिए की शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के 22 जिलों के 70 विधानसभाओं में वोटिंग के बीच प्रदेश के डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने एक बड़ा बयान दे दिया है। टीएस बाबा ने भारत बनाम न्यूजीलैंड क्रिकेट सेमीफाइनल का जिक्र करते हुए कहा कि भूपेश बघेल हमारे कप्तान हैं, लेकिन पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। याद रखें, राेहित शर्मा कप्तान हैं, विराट कोहली ने शतक बनाया, श्रेयस ने अच्छा खेला, लेकिन मैन ऑफ द मैच मोहम्मद शमी को मिला था।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री (CG CM Vivad) पद के लिए पार्टी ने कभी भी मेरा नाम आगे नहीं बढ़ाया था। हम एक साझा नेतृत्व के तहत लड़ रहे हैं और भूपेश बघेल इसका नेतृत्व कर रहे हैं। मैंने नहीं सुना कि मेरे नाम को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है। हां, मेरे संपर्क में रहे लोगों के दिमाग में यह बात थी।
अब इस बयान के अलग अलग मायने निकाले जा रहे। हालांकि अभी तो चुनाव नतीजे भी नहीं आये हैं, ऐसी बातों की चर्चा का अभी बहुत मतलब भी नहीं होता अगर छत्तीसगढ़ में झगड़ा पुराना नहीं होता। अव्वल तो ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि कांग्रेस चुनाव जीतने के बाद भी सीटें कितना ला पाती है और विधायकों में कितने किसके समर्थक होते हैं। जोर आजमाइश तो समर्थक विधायकों के नंबर से ही हो पाएगा।
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