BJP Vice President Strategy : बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक…! बिहार विधानसभा चुनाव जीतने, उपराष्ट्रपति पद की बिछा रही बिसात

By admin
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BJP Vice President Strategy

देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को राष्ट्रपति (BJP Vice President Strategy) द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस पद के लिए संभावित नामों (BJP Vice President Strategy) पर विचार शुरू कर दिया है। इस बार पार्टी बेहद सोच-समझकर और रणनीति के तहत निर्णय लेने के मूड में है। लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत है, ऐसे में मोदी सरकार को नया उपराष्ट्रपति चुन ने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी इस पद को किसी सहयोगी दल को देने के बजाय ऐसा चेहरा लाना चाहती है जो पार्टी की विचारधारा से गहराई से जुड़ा हो और संगठनात्मक रूप से मजबूत हो। पार्टी स्पष्ट कर चुकी है कि अगला उपराष्ट्रपति बीजेपी का ही होगा।

BJP Vice President Strategyरामनाथ ठाकुर के नाम की चर्चा

नए उपराष्ट्रपति को लेकर कुछ नाम सामने आए हैं जिनमें से जेडीयू के राज्यसभा सांसद और पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर का नाम भी चर्चा में था। वजह यह थी कि हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे मुलाकात की थी।

हालांकि सूत्र बताते हैं कि यह मुलाकात महज औपचारिक थी और इसका उपराष्ट्रपति पद से कोई लेना-देना नहीं था। यह मुलाकात बिहार SIR से संबंधित एक मुद्दे पर केंद्रित थी। जेडीयू और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर कोई गंभीर बातचीत नहीं हुई है।

बीजेपी के भीतर से ही होगा अगला उपराष्ट्रपति

धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने नए उपराष्ट्रपति (BJP Vice President Strategy) के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि पार्टी संगठन से जुड़े अनुभवी नेता, पूर्व राज्यपाल या कोई केंद्रीय मंत्री इस पद की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पार्टी कैडर में ऐसे कई नाम मौजूद हैं जिनकी छवि साफ-सुथरी और नेतृत्व क्षमता प्रबल है।ध्यान दें कि धनखड़ से पहले एम. वेंकैया नायडू इस पद पर थे, जो बीजेपी के अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे 2017 में उपराष्ट्रपति चुने गए थे।

सभापति की भूमिका अब हरिवंश संभालेंगे

जगदीप धनखड़ ने 2022 में 14वें उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक निर्धारित था। अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान वे कई बार विपक्षी दलों से तीखी बहस में उलझे, और कुछ मौकों पर सरकार के लिए भी असहज स्थितियां बनीं। संविधान में यह प्रावधान नहीं है कि उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कोई कार्यवाहक नियुक्त किया जाए, इसलिए ऐसी कोई आवश्यकता नहीं मानी जाती। राज्यसभा में सभापति की भूमिका इस वक्त उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह निभा रहे हैं।

 

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