Friday, November 22, 2024
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BIG BREAKING : उद्धव व शिंदे गुट विवाद में आया चुनाव आयोग का फैसला, जाने किसे मिला शिवसेना का नाम और तीर कमान

नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को शिवसेना नाम दिए जाने का आदेश दिए। आयोग ने कहा कि एकनाथ शिंदे की पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष और तीर बरकरार रखा जाएगा। आयोग (ईसीआई) ने कहा कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करना विकृत कर दिया गया है। इस तरह की पार्टी संरचनाएं विश्वास पैदा करने में विफल रहती हैं। चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया। 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के अधिनियम को संशोधनों ने रद्द कर दिया था, जिसे आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा लाया गया था। आयोग ने यह भी कहा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिन्हें 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गुप्त तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई। दरअसल, पिछले साल जून में जब एकनाथ शिंदे ने तख्तापलट किया था तो पार्टी में दो गुट उभर आए थे. पार्टी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के समर्थकों के बीच बंट गई थी. शिंदे गुट की बगावत के बाद महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में एकनाथ शिंदे ने सीएम औऱ देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी.

 

भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहा चुनाव आयोग : उद्धव ठाकरे गुट
उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा,  आदेश वही है जिस पर हमें संदेह था। हम कह रहे थे कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है। जब मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है और कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, तो चुनाव आयोग की यह जल्दबाजी दिखाती है कि यह केंद्र सरकार के तहत भाजपा एजेंट के रूप में काम करती है। हम इसकी निंदा करते हैं।