Bam Fish : नगरनार स्टील प्लांट के पॉन्ड में मिली चार फीट लंबी बाम मछली, शबरी नदी से पहुंचने का अंदेशा

जगदलपुर के नगरनार स्टील प्लांट परिसर के पॉन्ड में चार फीट लंबी और करीब 10 किलो वजनी विशाल बाम फिश मिलने से कर्मचारियों में हलचल मच गई। शबरी नदी से पाइपलाइन के जरिये इसके पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

By admin
3 Min Read
Bam Fish
Highlights
  • नगरनार स्टील प्लांट के पॉन्ड में मिली चार फीट लंबी भंवरी (बाम फिश)
  • शबरी नदी से पाइपलाइन के जरिये पानी के साथ आने की संभावना
  • बाम फिश को पूर्वी भारत में भाग्यशाली और स्वादिष्ट मछली माना जाता है

Jagdalpur News : छग के नक्सल प्रभावित बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट (Bam Fish) के तालाब में एक बेहद दुर्लभ और विशालकाय बाम फिश (स्थानीय बोली में भंवरी) मिलने से कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।

लगभग चार फीट लंबी और करीब 10 किलोग्राम वजनी इस मछली को प्लांट कर्मचारियों ने तब देखा जब वे बोट से तालाब में दवाई का छिड़काव कर रहे थे। पहले तो सभी इसे देखकर घबरा गए, लेकिन जब स्पष्ट हुआ कि यह कोई जलजीव है, तो साहस दिखाते हुए मछली को सुरक्षित पकड़ लिया गया।

नगरनार स्टील प्लांट की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए शबरी नदी से पाइपलाइन के माध्यम से ग्राम तिरिया के समीप एक कृत्रिम तालाब (पॉन्ड) में पानी एकत्रित किया जाता है।

संभावना जताई जा रही है कि यह मछली (Bam Fish) उसी पाइपलाइन से होते हुए तालाब में पहुंची होगी। स्थानीय लोगों का मानना है कि बाम फिश अमूमन नदियों, खासकर पूर्वी भारत की नमी वाली मिट्टी और गादयुक्त जलस्रोतों में पाई जाती है।

जानिए, इस मछली की खासियत (Bam Fish)

बाम फिश की खासियत यह है कि इसका शरीर लंबा, चिकना और सांप जैसा होता है, जिसके चलते इसे अक्सर भ्रमवश खतरनाक जीव समझ लिया जाता है। बस्तर और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों में इसे स्वादिष्ट और प्रोटीनयुक्त खाद्य के रूप में पसंद किया जाता है। वहीं, स्थानीय भाषा में इसे “भंवरी” कहा जाता है और इसे भाग्यशाली मछली भी माना जाता है।

बाम मछली (Bam Fish) आमतौर पर रात में सक्रिय होती है

विशेषज्ञों के अनुसार, बाम मछली आमतौर पर रात में सक्रिय होती है और गाद के नीचे छिपी रहती है। इसकी पकड़ आसान नहीं होती, लेकिन एक बार मिल जाने पर यह जलस्रोत की स्वच्छता और जैव विविधता का संकेत भी देती है। इस घटना के बाद प्लांट प्रबंधन ने तालाब की नियमित निगरानी बढ़ाने और पाइपलाइन की सफाई प्रक्रिया की समीक्षा करने की बात कही है। साथ ही, स्थानीय मछली विशेषज्ञों से संपर्क कर मछली की प्रजाति की और भी विस्तृत जांच की जा रही है।

 

 

Share This Article